Chaibasa (चाईबासा) : झारखंड सरकार द्वारा पेश किए गए 2025-26 के बजट में कोल्हान क्षेत्र की घोर उपेक्षा ने क्षेत्र की जनता, सामाजिक संगठनों, किसान, मजदूर, युवाओं में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है. बजट में 1,40,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.6% अधिक है, लेकिन कोल्हान क्षेत्र की बुनियादी समस्याओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है. “ऊंट के मुंह में जीरा” की तरह कोल्हान को वित्तीय आवंटन में नगण्य हिस्सेदारी दी गई है, जिससे क्षेत्र की जनता खुद को ठगा महसूस कर रही है. उक्त बातें पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने कही.
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उन्होंने कहा कि बजट में कोल्हान के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं है. बंद खदानों और विस्थापित मजदूरों की उपेक्षा – कोल्हान राज्य के राजस्व का मुख्य स्रोत है, लेकिन बंद पड़ी खदानों के पुनरुद्धार और विस्थापित मजदूरों के पुनर्वास के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया. जिससे यहां के मजदूरों में घोर निराशा है.
रोजगार सृजन की अनदेखी
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि नौकरी नहीं मिलने तक सभी बेरोजगार स्नातकों को 5,000 रुपए और स्नातकोत्तर को 7,000 रुपए प्रति माह भत्ता दिया जाएगा एवं राज्य में 10 लाख नौकरियाँ प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था. बजट में इसका कोई प्रावधान नहीं कर यहां के बेरोजगार एसटी, एससी, ओबीसी युवाओं को छलने का काम किया गया हैं.
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में घोर लापरवाही
उन्होंने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम राज्य में शिक्षा के सबसे निचले पायदान पर है, फिर भी बजट में सुधार के लिए पर्याप्त आवंटन नहीं किया गया. वहीं, मलेरिया जोन होने के बावजूद स्वास्थ्य सुविधाओं की घोर अनदेखी की गई है.
कृषि और सिंचाई को भगवान भरोसे छोड़ा
उन्होंने बताया कि कृषि और पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन सिंचाई व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिससे किसान निराश हैं.
पर्यटन विकास पर चुप्पी
पर्यटन की अपार संभावनाओं के बावजूद सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया. महिलाओं से किया गया वादा 450 रुपया में रसोई गैस देने का बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है, आधी आबादी महिलाओं एवं ग्रृहणियों के साथ अन्याय है.
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता उजागर
बजट में कोल्हान की अनदेखी साफ दिखाती है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र के मुद्दों को सरकार के सामने प्रभावी ढंग से नहीं उठाया. “मुँह में राम, बगल में छुरी” की तर्ज पर चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता अब चुप्पी साधे हुए हैं.
जनता में बढ़ता असंतोष
इस बजट ने कोल्हान की भोली-भाली जनता को निराश कर दिया है. सरकार की इस बेरुखी से आदिवासी एवं मूलवासी समुदायों में गहरी नाराजगी है. अगर सरकार ने जल्द ही कोल्हान के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा नहीं की, तो आने वाले समय में जनता आंदोलन करने को मजबूर होगी.
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