Close Menu
  • Live Update
  • Districts
    • Adityapur
    • Chaibasa
    • Chakradharpur
    • East Singhbhum
    • Seraikela-Kharsawan
    • West Singhbhum
  • India
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Orissa
  • Jamshedpur
  • Sports
Facebook X (Twitter) Instagram
The News24 LiveThe News24 Live
Facebook X (Twitter) Instagram
  • Home
  • State
    • Bihar
    • Jharkhand
    • Orissa
  • Local
    • Chaibasa
    • Chakradharpur
    • Jagnnathpur
    • Jamshedpur
    • Kharswan
    • Novamundi
    • Seraikela-Kharsawan
    • Adityapur
    • Chandil
  • India
  • Politics
  • Business
  • Election
  • Entertainment
  • Sports
  • Special Report
The News24 LiveThe News24 Live
  • Live Update
  • Districts
  • India
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Orissa
  • Jamshedpur
  • Sports
Home»Districts»East Singhbhum»झारखंड के सिखों को अंदर ही अंदर किया जा रहा गोलबंद, राजनीतिक दलों से उठा भरोसा
East Singhbhum

झारखंड के सिखों को अंदर ही अंदर किया जा रहा गोलबंद, राजनीतिक दलों से उठा भरोसा

By The News24 Live06/08/2024Updated:06/08/2024No Comments6 Mins Read
Share Facebook Twitter WhatsApp Pinterest LinkedIn Tumblr Email Telegram Threads
Share
Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email Telegram WhatsApp Threads

दिल्ली में लॉबिंग कर रहे कालरा, पूर्व सीएम चन्नी से मिले, बताई झारखंड में सिखों की जा रही अनदेखी

Jamshedpur (जमशेदपुर) : झारखंड विधानसभा में इंदर सिंह नामधारी के बाद कोई सिख चेहरा नहीं बना, इसको लेकर झारखंड के सिख समाज में अब खुलकर विरोध सामने आ गया है. बीते 24 साल में झारखंड में सिखों को ना लोकसभा ना राज्यसभा और ना ही विधानसभा में भाजपा या कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों द्वारा उम्मीदवार बनाया गया है. झारखंड के विभिन्न जिलों में सिखों की आबादी लगभग 5 से 5.50 लाख के बीच है.

इसे भी पढ़ें : टाटानगर से अमृतसर जाने वाली जलियांवाला बाग एक्सप्रेस को 4 दिसंबर से लेकर 1 मार्च तक रदद् करने से नाराज हुए सिख समाज, ज्ञापन सौंप कर दी उग्र आंदोलन की चेतावनी

नामधारी सिंह व उनकी पत्नी की FILE PHOTO


देश में सिखों ने 1984 कांड के बाद से भाजपा प्रत्याशियों‌ को ही जीताने का काम किया और सिख भी भाजपा का ही वोट बैंक मानें जाते रहे हैं.1984 के बाद कालांतर में धीरे-धीरे समीकरण बदलता रहा है और सिखों का रूझान भाजपा के अलावा क्षेत्रीय दलों की तरफ भी हुआ है ठीक वैसे ही जैसे दोस्ती और दुश्मनी कभी स्थायी नहीं होती.


देश में सबसे बड़े किसान आंदोलन के बाद नयी दिल्ली में तीसरी बार और पंजाब में पहली बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनना यह दर्शाता है कि जिस राज्य की जनता सत्ता और विपक्ष से परहेज़ कर लें वहां तीसरे विकल्प पर भरोसा कर ले,वहां नयी सरकार बनना तय है.ऐसे कुछ राज्यों में देखा भी गया है कि सत्ता और विपक्ष का पलटना और नये विकल्प का सत्ता में आना तय होता है जहां की जनता नेताओं की अतिमहत्वाकांक्षा से तंग आ चुकी है.


झारखंड में भी समीकरण कुछ ऐसा ही हो सकता है हालांकि अभी बहुत कुछ कहना मुश्किल है क्योंकि विधानसभा चुनाव में दो महीने बाकी हैं और झारखंड को भारत में राजनीति की सबसे बड़ी प्रयोगशाला कहा जाता है. 24 सालों में झारखंड निर्माण के बाद से ही 13 सीएम शायद ही किसी राज्य ने देखा होगा. इस अति महत्वाकांक्षा ने राज्य को 24 सालों में केवल इस्तेमाल की वस्तु बना कर रख दिया है. यहां जमीनी मुद्दों और राज्य के विकास को छोड़ हर जाति और वर्ग के लोग विधानसभा में अपनी ही जाति का प्रतिनिधित्व चाहते रहे हैं क्या विधायक, क्या मंत्री और क्या मुख्यमंत्री सबको अपनी जाति और धर्म का प्रतिनिधित्व चाहिए.
कभी हिंदू-मुसलमान तो कभी आदिवासी-गैर आदिवासी फैक्टर वोट बैंक को टर्न-अप करने में खूब इस्तेमाल किया जाता रहा है.

इसी बीच झारखंड में सिखों की भाजपा और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों द्वारा अनदेखी का मुद्दा भी बीते 10 वर्षों में जन्म ले चुका है और झारखंड के तमाम सिख नेता राजनीतिक दलों में रहते हुए खुद की अनदेखी से बेचैन हो रहे हैं.झारखंड में जिसकी भी सरकार बनी वहां सिखों को बस अल्पसंख्यक आयोग तक ही सीमित रखा गया.विशेषकर भाजपा में उस समय सिख अंदर ही अंदर नाराज हुए जब भाजपा में अल्पसंख्यक बताकर बाहर से एक चेहरा लाकर राज्यसभा उम्मीदवार बनाया गया.वह भी ऐसा वर्ग जो कभी भाजपा का न हुआ और न होगा ये हम नहीं ये पार्टी के बड़े-बड़े नेता और अब पड़ोसी राज्य बंगाल के नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने भी खुले मंच से कह दिया है.


बीते सप्ताह बंगाल में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी की पार्टी के एक बड़े कार्यक्रम के दौरान मांग थी कि अल्पसंख्यक मोर्चा को बंद कर दिया जाना चाहिए ताकि जो हमारे साथ हैं हम उसके साथ पर आधारित पार्टी की नीतियों पर काम कर सकें.उन्होने पार्टी की सबका साथ सबका विकास वाले स्लोगन पर भी बोलने में हिचक महसूस नहीं की.वे बोले हम उसी के साथ जो हमारे साथ.

प्रीतम सिंह भाटिया


झारखंड में पत्रकारों के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता प्रीतम सिंह भाटिया भी बीते 10 वर्षों से यही बात खुले मंच से अपने समाज को समझाते आ रहे हैं कि सिखों को अल्पसंख्यक आयोग नहीं बल्कि विधानसभा, लोकसभा या राज्यसभा भेजा जाना चाहिए. अब यही बात झारखंड में सिखों की सबसे बड़ी संस्था सीजीपीसी भी खुलकर कह रही है और कहे भी क्यों नहीं आखिर 24 सालों में सिख हैं कहां?सिख समाज के बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने केवल गैर सिखों और राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट स्टाईल में मोटा चंदा देकर मजबूती ही प्रदान की लेकिन अपना एक भी प्रतिनिधित्वकर्ता नहीं चुन पाए. यहां तक की जब प्रीतम भाटिया 2019 में रामगढ़ में विधानसभा चुनाव लड़ने गए तब भी सिख समाज ने उन्हें केवल मौखिक आश्वासन ही दिया,समाज के लोग इस इंतजार में रहे कि भाजपा या कांग्रेस प्रीतम भाटिया को टिकट देगी तभी हम आगे आएंगे.


ऐसा ही जमशेदपुर में राजद से चुनाव लड़ रहे इंद्रजीत कालरा और इंदर सिंह नामधारी के साथ भी हुआ था.सिख केवल यह सोचते रहे हैं कि हम भाजपाई प्रत्याशी को ही जिताएंगे चाहे वह गैर सिख ही हो.झारखंड में यही सोच सिख समाज की बड़ी भूल और भाजपा को वोट बैंक का लाभ दिलाने में सहायक तत्व साबित हुई.


अब झारखंड में सिखों को मुखर होते देखा जा रहा है क्योंकि झारखंड में सिख इंदर सिंह नामधारी और इंद्रजीत सिंह कालरा के बाद किसी को बड़ा नेता मानते हैं तो वह चेहरे हैं अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष व रेलवे सलाहकार बोर्ड के सदस्य रह चुके गुरविंदर सिंह सेठी,भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता व अल्पसंख्यक आयोग में रह चुके अमरप्रीत सिंह काले, अल्पसंख्यक आयोग में उपाध्यक्ष रह चुके गुरदेव सिंह राजा, वर्तमान में अल्पसंख्यक आयोग में उपाध्यक्ष ज्योति मथारू, हरमंदिर साहिब पटना के महासचिव रह चुके इंद्रजीत सिंह, सीजीपीसी के प्रधान भगवान सिंह, सीजीपीसी चेयरमैन व पूर्वी जमशेदपुर से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ चुके सरदार शैलेंद्र सिंह,टाटा मोटर्स के अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते, रंगरेटा महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मंजीत सिंह गिल और अन्य.

मंजीत सिंह गिल


रांची, बोकारो, धनबाद, गिरीडीह और रामगढ़ के बाद झारखंड में सिखों की बड़ी आबादी वाली विधानसभा जमशेदपुर की पूर्वी और पश्चिमी सीट ही है.अब देखने वाली बात होगी कि राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियां इनमें से किसको विधानसभा चुनाव लड़वाती हैं या फिर हर हाल में सिख अपना निर्दलीय प्रत्याशी खड़ा करते हैं.जो भी हो लेकिन सूत्रों की मानें तो एक बड़ी और राष्ट्रीय पार्टी झारखंड में सिख चेहरे पर दांव लगा रही जिसका खुलासा इसी महिने के अंत में हो सकता है.
इधर कांग्रेस में पदाधिकारी और बड़े सिख नेता माने जाते इंद्रजीत सिंह कालरा दिल्ली में सिखों की भावना से लगातार सभी बड़े नेताओं को अवगत करा रहे हैं.कल उन्होंने पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से झारखंड में सिखों की मनोदशा को व्यक्त किया है. प्रीतम भाटिया की तरह कालरा भी चाहते हैं कि झारखंड विधानसभा में एक सिख चेहरा नजर आना चाहिए.

इसे भी पढ़ें : http://डॉक्टर सिद्धू के हाथों हुई सिख जनगणना की शुरुआत

#jamshedpur politics #jamshedpurnews #jharkhand politics jamshedpur jharkhand government politics जमशेदपुर जमशेदपुर न्यूज राजनीति
Share. Facebook Twitter Telegram WhatsApp Threads Copy Link
The News24 Live
  • Website

Journalist

Related Posts

Adityapur social work:आसंगी बस्ती में गरीबों के बीच काली पूजा कमिटी ने बांटे कंबल,वरीय नागरिकों का हुआ सम्मान

23/10/2025

एस.आर. रुंगटा बी-डिवीजन लीग 2025-26 : प्रताप क्रिकेट क्लब ने टाउन क्लब को हराया, पूरे 4 अंक किए हासिल

23/10/2025

मनोहरपुर रेलवे स्टेशन के पास दुरंतो एक्सप्रेस ट्रेन पर पथराव, एक यात्री घायल

23/10/2025
© 2025 thenews24live.com. Designed by Launching Press.
  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms
  • Adsense Policy

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.