Chaibasa (चाईबासा) : कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर चाईबासा, चक्रधरपुर, और पश्चिमी सिंहभूम जिले के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। सुबह से ही नदियों और तालाबों के घाटों पर पूजा-अर्चना, स्नान और दान-पुण्य का सिलसिला चलता रहा। भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाकर भगवान विष्णु और शिव की आराधना की और दान-दक्षिणा कर अपनी श्रद्धा अर्पित की।
Adityapur Kartik Purnima: कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

आस्था का महासंगम
कार्तिक मास की पूर्णिमा हिन्दू धर्म में अत्यंत पावन मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन स्नान और दान करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दौरान श्रद्धालुओं ने त्रिपुटी स्नान (गंगा, यमुना और सरस्वती का प्रतीक) की परंपरा निभाई और दीपदान कर भगवान की आराधना की।
चाईबासा के खैरबनी, कपगाडी, कोल्हान नदी के किनारे स्थित घाटों पर विशेष भीड़ रही। वहीं चक्रधरपुर के खटंगा नदी घाट और मंझारी, तांतनगर, गुवा क्षेत्रों में भी धार्मिक उत्साह चरम पर रहा।

धार्मिक अनुष्ठान और दान
भक्तों ने स्नान के पश्चात तुलसी के पौधे को जल अर्पित कर पूजा पाठ किया। कई लोगों ने गरीबों को भोजन, वस्त्र एवं अन्नदान कर पुण्य अर्जित किया। मंदिरों में भजन-कीर्तन तथा आरती के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
प्रशासन की सतर्कता
अधिक भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन की ओर से सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए थे। सभी प्रमुख घाटों पर पुलिस बल तैनात रहा। इसके अलावा नाविकों और आपदा प्रबंधन टीम को भी सावधानी के तौर पर तैनात किया गया था।
धार्मिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं ने दैत्यगुरु शुक्राचार्य के पुत्र देवासुर संग्राम के बाद त्रिशंकु तुल्यात अंतरिक्ष में निवास किया था। इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था, जिसे “त्रिपुरारी पूर्णिमा” भी कहा जाता है। इसलिए यह दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु के आराधना का संयुक्त पर्व भी है।
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