Chaibasa :- “हो” समाज के ग्रामीणों ने ईसाई धर्म में परिवर्तित ईचाकुटी ग्राम के पूर्व दियूरी 75 वर्षीय रमेश चंद्र पिंगुवा का शव को ससन दिरी (शमशान) में दफनाने पर रोक लगाते हुए जमकर विरोध किया. शव को दफनाने के लिए खोदे गए कब्र को भी माटी भरवा कर समतल करवा दिया गया.
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ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रमेश चंद्र पिंगुवा का बुधवार को सामान्य मृत्यु हुआ था. जो गाँव में पहले दियुरी रहकर “हो” समाज का पर्व त्योहार, धार्मिक कार्यक्रम एवं अन्य सांस्कृतिक एवं पारंपरिक कार्यक्रमों का बोंगा-बुरु जैसे प्रमुख रिति-रिवाज के अगुवा थे. वह अपनी बहु एवं पोती के माध्यम से बीमारी ठीक होने के प्रलोभन में सरना धर्म को छोड़कर पाँच वर्ष पूर्व ईसाई धर्म अपनाया था. ईसाई धर्म अपनाकर अपने बेटा-बेटी को भी धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन देता रहा. परंतु उसका बड़ा बेटा पिता से अलग हो गया और “हो” समाज की रिति-रिवाज के अनुसार प्राकृतिक आस्था के साथ सरना धर्म में ही रह गया. गाँव के दियुरी के रूप में आजतक कार्यभार संभाले हुए हैं.
जब रमेश चंद्र पिंगुवा का मृत्यु होने की खबर गाँव में फैल गयी. सभी ग्रामीण इस मामले में एकजूट हुए. इसकी सूचना ग्रामीण चंद्रकांत पिंगुवा को दिया गया और ग्राम में “हो” समाज के अनुसार ससन दिरी स्थल में शव दफनाने को लेकर ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया. उनका शव दफनाने के लिए गाँव के लोग मदद करने के लिए आगे नही आये और इसकी सूचना आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा मझगाँव प्रखंड कमिटि एवं जगन्नाथपुर अनुमंडल कमिटि को भी सूचना दिया गया. समाज के हित में आदिवासी हो समाज युवा महासभा एवं मानकी-मुंडा संघ ने ग्रामीणों के फैसले को समर्थन दिया.
सर्वप्रथम शव को दफनाने के लिए अपने परिवार का ससन दिरी स्थल के संयुक्त जमीन में उसका पोता और उसके ईसाई रिश्तेदार ने कब्र खोदना शुरू किया. शव दफनाने के लिए पाँच फीट के आस-पास कब्र खोदकर दाह-संस्कार के लिए तैयारी चल रही थी. इसी क्रम में ग्रामीण वंहा पहुंच गए और जमकर इसका विरोध किया. जिसके बाद उस खोदा गया कब्र को पुनः समतल कराया गया.
ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए मृतक के परिजनों ने विचार विमर्श कर दूसरे जगह अपनी ही जमीन में दफनाने के लिए सामाजिक दबाव डाला गया. दूसरे जगह में ईसाई धर्मावलंबियों ने कब्र खोदा गया. जंहा एक स्वर में ग्रामीणों ने “हो” समाज की रीति-रिवाज के अनुसार न दफनाने की कड़ी चेतावनी दी. आक्रोशित ग्रामीण चिल्लाकर कहने लगे कि “हो” समाज की रीति-रिवाज को किसी तरह छेड़ने का प्रयास न करें. अन्ततः ग्रामीणों के विरोध तेवर और सामाजिक एकता के भयंकर माहौल को देखकर ईसाई धर्म मानने वालों ने ईसाई रीति-रिवाज से दफना दिया गया.
इस अवसर पर मानकी-मुण्डा संघ के अंचल अध्यक्ष युगल किशोर पिंगुवा, ग्रामीण मुण्डा चंद्रकांत पिंगुवा, दियूरी बनमाली पिंगुवा, आदिवासी हो समाज युवा महासभा अनुमंडल सचिव सिकंदर तिरिया, प्रखंड अध्यक्ष अनिल चातर, सचिव दिनेश हेम्ब्रम, कोषाध्यक्ष अमरसिंह चातर, आमंत्रित सदस्य रविन्द्र पिंगुवा, टाईगर पिंगुवा, सुखनाथ पिंगुवा, रोहित पाट पिंगुवा, दिव्याराज पिंगुवा, गुरा तोपनो, नबल किशोर पिंगुवा, अरूण राज पिंगुवा आदि काफी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे.