Jamshedpur (Abhishek Kumar) :- हरियाली की आंचल में लिपटी जमशेदपुर की धरती वनों से परिपूर्ण है. यहाँ की मिट्टी कई प्राकृतिक संपदाओं के लिये उर्वरक है. ऐसे ही वन संपदा में एक नाम केंदू पत्ता का है, जिसे हरा सोना के नाम से भी जाना जाता है. केंदू पत्ता से होने वाली आमदनी सोने चांदी के व्यापार से होने वाली आमदनी के बराबर होती है. यही वजह है कि इसे हरा सोना का नाम दिया गया है.
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केंदू पत्ते से तैयार होती बीड़ी
गर्मी की शुरुआत होते ही अप्रैल महीने में केंदू पत्ता की तोड़ाई शुरू हो जाती है.तीन महीनों तक यह कारोबार ज़ोर शोर से चलता है.बीड़ी बनाने के लिए सबसे पहले केंदूपत्ता को तोड़ने के लिये पहाड़ों की तलहटियों पर जाना पड़ता है. फिर पत्ते को तोड़कर ‘गठरी’ के रूप में बांधकर कुछ दिन धूप में सूखाया जाता है. पत्तों के सूखने के बाद पानी में भिगोकर एक टुकड़े के आकार में काटा जाता है. फिर पत्ते में तंबाकू को डालकर बीड़ी का रूप दिया जाता है. इस प्रक्रिया से बीड़ी को तैयार किया जाता है.
तीन महीने में 10 करोड़ से अधिक का होता है कारोबार
सेंट जेवियर कॉलेज रांची के एसोसिएट प्रोफेसर और रिसर्चर डॉ. मधुरेंद्र सिंह ने हमारी टीम से टेलीफोन पर बातचीत में बताया आदिवासी ग्रामीणों के लिये यह सबसे बड़ा रोज़गार का साधन होता है. इस कार्य के लिये उन्हें अच्छे पैसे और बोनस भी दिये जाते हैं. जमशेदपुर के बहरागोड़ा, पोटका, धालभूमगढ़ के क्षेत्रों में इसका अवैध कारोबार चलता है. इस कारोबार में पूर्वी सिंहभूम क्षेत्र के कई सफेदपोशों के नाम भी हैं. जिनके संरक्षण में यह अवैध कारोबार फलता फूलता है. वन विभाग की भूमिका भी कई सवालों को जन्म देती है. अवैध कारोबारियों और अधिकारियों के इस मिलीभगत से सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है.
केंदू पत्ता बना ‘हरा सोना’
भारत में बीड़ी पत्ता की बड़ी मांग की वजह से यह काफ़ी फायदे वाला कारोबार है और इसके कारण ही इसका अवैध कारोबार भी होता है. जंगलों को ठेकेदार पत्तों के मुताबिक़ बाँटते हैं और यहीं से खेल शुरू होता है. ठेकेदार ‘क’ और B का टेंडर लेते हैं.जबकि ‘ख’ जंगल का टेंडर नहीं लेते. जंगल के लाइसेंस की आड़ में ये ठेकेदार अवैध रूप से जंगल में बीड़ी पत्ते की तोड़ाई करवाते हैं और उन पत्तों को पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा के रास्ते चाईबासा, सरायकेला से पश्चिम बंगाल भेजा जाता है.
नीचे से ऊपर तक सभी के बीच बांटा जाता है पैसा
ज़िले के एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं केंदू पत्ते के इस अवैध कारोबार में शामिल सभी अधिकारियों तक पैसे पहुँचाए जाते हैं. इस खेल की जांच अधिकारियों से कराई जानी चाहिये.
आंख की रोशनी भी हो रही है कम
नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय ने बताया केंदू पत्ता के कारण आंख में जलन की समस्या आने लगी हैं. ऐसा इसलिए हुआ कि गर्मी के मौसम में बारीकी से जंगलों से पत्ता को चुनकर सुखाना और छाँटना पड़ता है, तो इससे आंख में जोर पड़ता है,जिससे आंखों में दिक्कत हो रही है. पत्ते की गंध से सिर में दर्द होने लगता है. अक्सर आँख से पानी गिरता रहता है. सिर झुका कर लगातार काम करने के कारण आँखों से देखने में दिक़्क़त आने लगी है. खाने को दो वक्त की रोटी और बेटों को पालने की मजबूरी न होती तो ये काम क्यों करते.
ग्रामीणों के लिए यही है रोज़ी-रोटी का सहारा
पोटका के ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले एक स्थानीय आँखों में आँसू भरे बताते हैं. वैश्विक महामारी के संकट कोरोना काल में हमारी नौकरियाँ छीन गई. कोरोना से बाद में पहले भूख से मरने की नौबत आन पड़ी थी. इसके काम के सिवा कोई दूसरा काम भी हमारे पास नहीं था.
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