वेतन मान से सरकार का इंकार,पारा शिक्षकों में उबाल
Jaintgarh (जैंतगढ़) : अपने चुनावी घोषणा पत्र को सरकार भूल गई है. हर चुनावी सभा में सत्ता में आते ही तीन महीने के अंदर पारा शिक्षकों को स्थाई करने की घोषणा के साथ ये सरकार सत्ता सीन हुई है. तो अब वेतन मान देने में सरकार के पसीने क्यों छूट रहे है. क्या ये चुनावी जुमला मात्र था. अगर ऐसा है तो इस जुमलेबाज सरकार को सत्ता मे बने रहना का कोई नैतिक अधिकार नही है. उक्त बातें पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय सदस्य सह पूर्व जिला अध्यक्ष दीपक कुमार बेहरा ने कही.
श्री बेहरा ने कहा 5अगस्त की वार्ता में सरकार ने वेतन मान देने के नाम पर न्यायालय का फैसला और आरक्षण रोस्टर का बहाना बनाया है. अब मानदेय समतुल्य वेतन मान पर आगामी 12अगस्त को फिर वार्ता है. उस दिन बात नही बनी तो हड़ताल सुनिश्चित है. राज्य के सभी 65 हजार पारा शिक्षक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे.
संघ के नेता शंकर गुप्ता ने कहा कि वादा खिलाफ सरकार हमें साढ़े चार वर्षो से गुमराह कर रही है. आप न्यायालय का फैसला समान काम का समान वेतनमान क्यों लागू नही करते. महाधिवक्ता की राय भी पारा शिक्षकों के पक्ष में है आप उसे लागू क्यों नही करते. अगर पारा शिक्षकों की बहाली में आरक्षण रोस्टर का अनुपालन नहीं हुआ है तो इसका दोषी शिक्षा विभाग और सरकार है. भला करे कोई भरे कोई ये कहां का न्याय है. हम पारा आंदोलन जीवी है अपना हक मांग रहे है कोई भीख नहीं मांग रहे है कि सरकार हजार पंद्रह सौ रुपये की वृद्धि कर हमे चलता कर दे. अभी हाल में सरकार ने सी आर पी, बी आर पी के मानदेय में 53% तक की वृद्धि की है, तो शिक्षा की रीढ़ पारा शिक्षकों के साथ अन्याय क्यों. सरकार के अड़ियल, टाल मटोल और उपेक्षापूर्ण रवैए से आम पारा शिक्षकों में रोष है. पारा खेमा उबल रहा है सरकार नही मानी तो हम लड़कर अपना अधिकार लेंगे. एक बार फिर पारा शिक्षक इंकलाब जिंदाबाद और पारा एकता जिंदाबाद के नारे के साथ हड़ताल में जाने का मन बना चुके है.
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