Chaibasa:- नेत्रोत्सव के साथ ही श्री श्री जगन्नाथपुर महाप्रभू की जगन्नाथपुर रथयात्रा महोत्सव की शुरुआत हो गई। सुबह से ही डंगोआपोसी स्थित जगन्नाथपुर मंदिर में नेत्रोत्सव की तैयारियाँ आरंभ हो गई। दिन चढ़ते चढ़ते आज़ मंदिर के मुख्य महंत ने जगन्नाथ महाप्रभू को स्नान कराया और वैदिक मंत्रोच्चार से उनका पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की। इसके बाद जगन्नाथपुर महाप्रभू संग भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का दिव्य श्रृंगार किया गया।
लगभग 14 दिनों बाद ज्वर से ठीक होने के बाद जगन्नाथपुर महाप्रभू को अन्न भोग लगाया गया। तत्पश्चात जगन्नाथपुर महाप्रभू के दिव्य कपाट आम भक्तों के लिए दुबारा खोल दिए गए। इस दौरान लोगों ने भगवान जगन्नाथ महाप्रभू के दिव्य दर्शन किए और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
दरअसल ज़्वर से पीड़ित होने के बाद जगन्नाथ महाप्रभू कुछ समय अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ कुछ समय के लिए एकांतवास में चले जाते हैं और आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा के दिन चारों विग्रह नवयौवन रूप में सुसज्जित होकर अनवसर ग्रह से बाहर आते है और भक्तों को अपने दिव्य रूप के दर्शन देते हैं इसे ही नेत्रोत्सव कहा जाता है। इस दौरान भगवान का तुलसी की मंजरी से श्रृंगार किया जाता है, क्योंकि महा स्नान के बाद चारों विग्रहों को विश्राम के लिए अनवसर ग्रह में दो दिनों के लिए रखा जाता है और नेत्र उत्सव के दिन ही भगवान जगन्नाथ जी भक्तों को अपने दिव्य रूप के दर्शन देते है।