Chaibasa :- विभिन्न सामाजिक संगठनों ने स्थानीय नीति मामले में राज्य सरकार को कोल्हान क्षेत्र की स्थिति से अवगत कराने का निर्णय लिया. इस निमित स्थानीय परिसदन में आदिवासी हो समाज महासभा के उपाध्यक्ष केसी बिरूली की अध्यक्षता में एक बैठक सम्पन्न हुई. बैठक में सर्वसहमति से निम्न निर्णय लिए गए. उक्त जानकारी आदिवासी हो समाज महासभा के पूर्व महासचिव मुकेश बिरूवा ने दी.
उन्होंने बताया कि पहला स्थानीय नीति अंतिम सर्वे ख़ातियान पर आधारित हो जिसमें तथा वंशानुगत वंशावली को शामिल किया जाए. दूसरा कि ड्राफ़्ट पॉलिसी की कंडिका 8 जिसमें नवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद ही अधिनियम के लागु होने की बात कही गई है को बिलोपित किया जाए, कंडिका 7 स्वतः उस विषय को परिभाषित कर रही है.
तीसरा कि स्थानीयता की परिभाषा दो तरह की दी जाए एक स्थाई और दूसरा स्थानीय. ख़ातियान एवं वंशानुगत वंशावली के तहत स्थाई प्रमाण बने और बाक़ी के लिए स्थानीय का विकल्प दिया जाए और चौथा कि ग्राम सभा को अभी सिर्फ़ भूमिहीन व्यक्तियों की ही सत्यापित करने का अधिकार दिया गया है. इसमें वंशानुगत वंशावली को भी सत्यापित करने सम्बन्धी अधिकार निहित किए जाएं. इन बातों को अधिनियम में शामिल करने हेतु कोल्हान से एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से जल्दी मुलाक़ात करने जाएगी. इसके अलावे इस नीति से होने वाले प्रभाव के मद्देनज़र एक राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन कोल्हान में किया जाएगा. जिसमें पूरे राज्य से इस नीति से होने वाले भूतलक्षी एवं भविष्य में होने वाले प्रभाव का मूल्यांकन किया जा सके। साक्षों के साथ इस कार्यशाला को किया जाएगा. जिसमें विभिन्न ख़ातियान, नक़्शा, वंशावली आदि पर तुलनात्मक अध्ययन हो सके। उसके बाद राज्य सरकार के साथ इस पर चर्चा की जाएगी. इस पूरे अभियान में समाज के प्रबुद्द जन, जन प्रतिनिधि को भी शामिल किया जाएगा.
बैठक में यदुनाथ तियु, सूखलाल पुरती, बलभद्र मेलगांडी, सत्या बिरुवा, चंद्र मोहन बिरुवा, उमा शंकर पाड़ेया, इपिल समड, सुशील संवैया, रेयाँस समड एवं मुकेश बिरुवा के अलावे पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, सांसद गीता कोड़ा एवं विधायक सोनाराम सिंकु भी शामिल हुए. सभी प्रतिनिधियों ने समाज के मुद्दे पर अपनी सहमति दी, और अपने तरफ़ से भी राज्य सरकार तक इन बातों को पहुँचाने की बात कही. कार्यशाला से निकलने वाले निष्कर्ष पर सभी जन प्रतिनिधियों ने आशा व्यक्त की कि ऐसे कार्यक्रम की ऐसे वक्त में सख़्त ज़रूरत है और मधु कोड़ा जी ने यह भी कहा की राज्य सरकार को भी वास्तव में इन विषयों पर समाज एवं जानकार लोगों से खुले मन से वार्ता करनी चाहिए.