Chaibasa :- महालया देवी पक्ष की शुरूआत और पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक होता है. इस दिन सभी लोग अपने पितरों को विदाई देते हैं और माँ दुर्गा की धरती पर आने की प्रार्थना करते है महालया दुर्गा पूजा से सात दिन पहले आता है. वैसे तो ये एक बंगाली त्योहार है, लेकिन इसकी मान्यता बहुत है. इसे पूरे देश में मनाया जाता है.
इससे एक पौराणिक मान्यता जुड़ी है कहा जाता है की इस दिन माँ दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आने की अपनी यात्रा शुरू करती हैं. उनके लिए भजन, पाठ, प्रार्थनाएं उनके भक्त करते हैं. जिससे वो धरती पर आकर उन्हें असुरों से बचाएं. महालया एक संस्कृत शब्द है, जिसमें महा का अर्थ होता है महान और लया का अर्थ होता है निवास. ये उत्सव माँ दुर्गा की असुरों पर विजय के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन साभी लोग अपने पितरों को विदा करते हैं. पुरुष सफेद धोती पहन कर गंगा में उतरते हैं और अपने पितरों का तर्पण कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं. सदर बाजार स्थित काली मंदिर में रविवार को महालया अमावस्या के दिन माँ काली की विशेष पूजा-अर्चना की गई साथ ही अन्न भोग का भी आयोजन किया गया था. पूजा के मौके पर भारी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. पूजा मंदिर के पुजारी अनूप मल्लिक के द्वारा संपन्न करवाया गया. आयोजक सह ट्रस्ट कमिटि के सदस्य अशोक कुमार राय ने बताया कि प्रत्येक वर्ष महालया अमावस्या के दिन इस मंदिर में माँ की विशेष पूजा-अर्चना व अन्न भोग की व्यवस्था की जाती है. माँ काली के पास जो भी भक्त सच्चे मन से मन्नतें मांगते है उसकी मां जरूर मनोकामना पूरी करते है. इस मंदिर में सिर्फ चाईबासा ही नहीं अन्य जगहों से भी भक्त यहाँ आते है. माँ के दरबार में मन्नत मांगते है.
यह मंदिर लगभग 200 वर्ष पूर्व में स्थापित किया गया था. हाल ही में इस पुराने मंदिर को तोड़कर नवनिर्मित भव्य मंदिर बनाया गया है. इसे मंदिर में जो भी भक्त आते है वह खाली हाथ नहीं जाते है. कार्यक्रम को सफल बनाने में काली मंदिर ट्रस्ट कमिटी के सदस्य अशोक कुमार राय, त्रिशानु राय, अभिषेक राय, अनूप कुमार राय, अनिर्वाण राय, प्रवीण राय, सुभांशु राय आदि उपस्थित थे.