Chaibasa (चाईबासा) : एक गंभीर मरीज को समय पर उपयुक्त सुविधा न मिलने से परिजनों में हताशा और गुस्से का माहौल देखने को मिला। यह घटना हाटगम्हरिया प्रखंड के रुइया गांव निवासी 51 वर्षीय शंकर खंडाइत के साथ घटी, जिन्हें सोमवार सुबह खेत में शौच के दौरान अचानक चक्कर आकर बेहोशी छा गई और वे खेत में गिर पड़े।
ग्रामीण स्तर पर प्राथमिक उपचार के बाद परिजन उन्हें सुबह करीब 11 बजे चाईबासा के एक निजी नर्सिंग होम ले गए, जहां सिटी स्कैन और अन्य जांचों के बाद डॉक्टरों ने उनकी स्थिति को अत्यंत गंभीर बताया। चिकित्सकों के अनुसार, मरीज को ब्रेन हेमरेज हुआ था, जिसे देखते हुए तत्काल बेहतर चिकित्सा के लिए हायर सेंटर रेफर करने की सलाह दी गई। इस बीच परिजनों को नर्सिंग होम में ही करीब 8000 रुपये का भुगतान करना पड़ा।
इसके बाद पीड़ित को चाईबासा सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां शाम करीब 6 बजे फिर से एमजीएम जमशेदपुर रेफर कर दिया गया। इस दौरान मरीज के परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा से कई बार संपर्क साधा। हैरानी की बात यह रही कि अस्पताल परिसर में दो 108 एंबुलेंस मौजूद होने के बावजूद चालकों ने जमशेदपुर तक ले जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने यह कहते हुए परिजनों को टाल दिया कि वर्तमान में एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है।
बेबस परिजनों ने इस बात की जानकारी सड़क सुरक्षा समिति के सक्रिय सदस्य एवं अधिवक्ता राजाराम गुप्ता को दी। राजाराम गुप्ता ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. शिवचरण हंसदा से बातचीत की और मरीज के लिए तत्काल एंबुलेंस उपलब्ध कराने की मांग की।
उनकी पहल के बाद आखिरकार एक एंबुलेंस मरीज को उपलब्ध कराई गई और शंकर खंडाइत को एमजीएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, जमशेदपुर के लिए रेफर किया जा सका। इस घटना ने एक बार फिर 108 एंबुलेंस सेवा की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।