Chaibasa (चाईबासा): परंपरा, सद्भावना और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक गोपाष्टमी मेला इस वर्ष अपने 125वें ऐतिहासिक वर्ष में प्रवेश कर रहा है। तीन दिवसीय यह भव्य आयोजन 29, 30 एवं 31 अक्टूबर को चाईबासा गौशाला परिसर में बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।

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गोपाष्टमी महोत्सव का विधिवत उद्घाटन 29 अक्टूबर 2025 (बुधवार) शाम 4 बजे होगा। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड सरकार के निबंधन, भूमि सुधार एवं परिवहन मंत्री श्री दीपक बिरुआ शामिल होंगे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपायुक्त श्री चंदन कुमार, तथा सम्मानित अतिथि के रूप में सदर अनुमंडल पदाधिकारी श्री संदीप अनुराग टोपनों, एसडीपीओ श्री बहामन टूटी, अंचलाधिकारी श्री उपेन्द्र कुमार एवं कार्यपालक अभियंता (विद्युत) श्री गौतम राणा उपस्थित रहेंगे।
गौ पूजन सह नगर भ्रमण से होगी शुरुआत
मेला 29 अक्टूबर की सुबह 9 बजे खिरवाल धर्मशाला से गौ पूजन सह गौ नगर भ्रमण के साथ शुरू होगा। यह शोभायात्रा चाईबासा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए दोपहर 1 बजे रॉलीक स्टुरेंट, मधुबाजार के समीप संपन्न होगी। इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालु, नगरवासी एवं गौभक्त बड़ी श्रद्धा और उत्साह से भाग लेंगे।
आकर्षण – व्यंजन, झूले और कृषि स्टॉल
मेले में आगंतुकों के लिए भोजन एवं व्यापारिक स्टॉलों का विशेष आकर्षण रहेगा।
बिहार का प्रसिद्ध खाजा, स्थानीय गन्ना, चाट-पकौड़ी, समोसा, पानीपूरी सहित कई पारंपरिक व्यंजन उपलब्ध होंगे। मनोरंजन हेतु विभिन्न प्रकार के झूलों की भी विशेष व्यवस्था की गई है।
कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए विशेष स्टॉल लगाए जाएंगे, जहाँ विशेषज्ञ किसानों को आधुनिक खेती, जैविक पद्धति और नए उपकरणों के उपयोग की जानकारी देंगे। साथ ही, कृषि यंत्रों की प्रदर्शनियां भी लगाई जाएंगी।
सुरक्षा व सुविधाओं की पुख्ता व्यवस्था
जिला प्रशासन ने मेले की सफलता को लेकर सुरक्षा और सुविधा की सभी तैयारियाँ पूरी कर ली हैं।
मेले के दौरान भीड़ नियंत्रण हेतु गौशाला मार्ग पर दोपहिया, टोटो और चारपहिया वाहनों का प्रवेश वर्जित रहेगा।
स्वच्छता, पेयजल, बिजली व्यवस्था, चिकित्सा सुविधा और पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि लोग निर्भय होकर मेले का आनंद उठा सकें।
समिति की अपील
चाईबासा गौशाला समिति ने जिलेवासियों से परिवार सहित इस ऐतिहासिक मेले में आने का आग्रह किया है। समिति ने लोगों से शांति, अनुशासन और सौहार्द बनाए रखते हुए गौसेवा एवं संरक्षण के संदेश को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
गोपाष्टमी मेला आज केवल चाईबासा ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। इसकी ऐतिहासिकता, लोक-संस्कृति और जनभागीदारी ही इसे खास बनाती है।

