स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल
थैलेसिमिया पीड़ित बच्चों को संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने से पूरे झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
Chaibasa (चाईबासा) : झारखंड के चाईबासा से आई खबर ने पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। सदर अस्पताल में थैलेसिमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस गंभीर लापरवाही के बाद सरकार ने तुरंत उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया।
उच्चस्तरीय जांच समिति सक्रिय
स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव डॉ. नेहा अरोड़ा के नेतृत्व में छह सदस्यीय टीम बुधवार को चाईबासा सदर अस्पताल पहुंची और ब्लड बैंक की गहन जांच शुरू की। समिति को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी होगी।

इस बीच विभाग ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है। पश्चिमी सिंहभूम के सिविल सर्जन डॉ. सुशांत कुमार माझी, ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. दिनेश सवैया और लैब तकनीशियन मनोज कुमार को लापरवाही का दोषी मानते हुए विभागीय कार्रवाई की गई है।
यह घटना न केवल चाईबासा बल्कि पूरे झारखंड के ब्लड बैंकों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है। आम जनता गुस्से और डर में है। लोग सवाल कर रहे हैं कि जब अस्पताल जैसी सुरक्षित जगह पर खून की जांच में लापरवाही होगी तो आम मरीजों की जान कैसे सुरक्षित रहेगी?
विशेष सचिव डॉ. अरोड़ा ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि अब किसी भी ब्लड बैंक में केवल किट से जांच नहीं की जाएगी। सभी ब्लड यूनिट की जांच अनिवार्य रूप से एलाइज़ा टेस्ट से होगी। इसके लिए राज्य सरकार ने टेस्टिंग मशीनें, किट और प्रशिक्षित मैनपावर उपलब्ध कराने का आदेश जारी कर दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी खामियों को उजागर करती है। ब्लड बैंकों की निगरानी और अधिक कड़ी करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में ऐसी भयावह लापरवाही दोबारा न हो।
फिलहाल जांच जारी है और रिपोर्ट आने के बाद ही पूरे सच का खुलासा होगा। लेकिन इतना तय है कि चाईबासा ब्लड बैंक मामला झारखंड की स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक बड़ा सबक बन चुका है।

 
