Jamshedpur,(Abhishek Kumar) :- आपने अब तक कई आईपीएस अधिकारियों की कहानियां सुनी होंगी. लेकिन ऐसे अधिकारी बिरले ही होते हैं जो सब कुछ पा लेने के बाद भी अपने जड़ को नहीं भूलते. किसान परिवार में जन्मे पूर्वी सिंहभूम जिला के एसएसपी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. बिहार के वैशाली जिला के रहने वाले 2014 बैच के आईपीएस प्रभात कुमार अपनी सहजता और सरलता के चलते आमजन के दिलों में खास जगह रखते हैं. 50 से ज्यादा नौकर चाकर के बीच रहने वाला कोई आईपीएस खुद खेत में कुदाल-फावड़ा लेकर उतर जाए तो इसे सरलता नहीं तो और क्या कहेंगे. प्रभात कुमार अपने सरकारी आवास में खेती करते हैं, गायों को पालते हैं. प्रभात कुमार उन्हें यह माहौल बचपन से ही घर में मिला, ऐसे में समय मिलने पर वो खुद खेत में काम करना पसंद करते हैं. अपनी जरूरतों की सब्जी खुद उगाते हैं, बात पैसे की नहीं है, बात मन के सुकून की है जो मुझे इससे मिलता है.
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जब खेतों को बनाया हरियाली
शनिवार की शाम जिले के एसएसपी से कुछ लोग उनके आवास पर मिलने पहुंचे तो उनके गार्ड ने कहा कि साहब थोड़ा व्यस्त हैं, खेतों की साफ-सफाई में लगे हैं. कुछ घंटों के बाद मुलाकात कर सकेंगे. शुरू में मिलने आये लोगों को गार्ड की बातें झूठी लगी, लेकिन उनलोगों ने जिद किया तो गार्ड ने उन सबको आवास के अंदर ले गए. लोगों ने देखा कि एसएसपी साहब करीब 2 एकड़ जमीन में सब्ज़ी बोने और उसमें पानी छिड़काव कर रहे हैं.
ऐसे आईपीएस सभी के लिए प्रेरणास्रोत
हेमवती नंदन बहुगुणा, गढ़वाल यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर साकेत भारद्वाज कहते हैं कि एक अधिकारी के तौर पर दफ्तर में और एक अच्छे नागरिक की तरह अपने निजी कार्यों को सम्मानपूर्वक करना दर्शाता है कि एक व्यक्ति के तौर पर समय बदलने के साथ अपने पुराने दिनों को नहीं भूले हैं.आरामतलब जीवन से समय निकालकर खेती किसानी करना लोगों के लिए भी संदेश है कि अपनी जरूरत की चीजें खुद उगायें। खेती किसानी को भी सम्मान से देखें, अन्न उगाना पुण्य का काम है।
सागर नायक के लिए फरिश्ता से कम नहीं प्रभात कुमार
कोयले की धधकती आग पर जीवन जीने को मज़बूर सागर नायक का परिवार रामगढ़ जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर भुरकुण्डा में रहता है। टूटी दीवारों और पुराने खपरैल में माता पिता के साथ रह रहे सागर नायक की आखों में भी आज अधिकारी बनने का सपना है, और यह सब हो पाया है रामगढ़ जिले के पूर्व एसपी रहे प्रभात कुमार के प्रयास से। सागर कहते हैं कि झारखंड माध्यमिक बोर्ड की परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद आर्थिक मजबूरी आड़े आ रही थी कि आगे पढ़ाई जारी रख सकें, तभी अचानक से एक बड़े साहब का फ़ोन आया। उन्होंने बताया कि रामगढ़ की एक बड़ी ‘कोठी’ में रहने वाले साहब ने मुझे अपने दफ़्तर में बुलाया है। मेरी परेशानियों को समझने के बाद प्रभात सर ने मेरी पढ़ाई जारी रखने के लिये आर्थिक मदद की तथा कोचिंग की व्यवस्था कराई।