Chaibasa :- सारंडा जंगल को आग से बचाने एंव जंगल के लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए सारंडा वन प्रमंडल एंव जिला प्रशासन मिलकर गुआ वन प्रक्षेत्र के नुईया गांव के जंगलों में बायोमास ब्रिकेटस मशीन लगाएगा। यह मशीन सारंडा में प्रयोग के तौर पर डीएमएफटी फंड से जल्द लगाया जायेगा। इसके लिये स्वीकृति भी मिल चुकी है। उक्त जानकारी आईएफएस सह सारंडा वन प्रमंडल के संलग्न पदाधिकारी प्रजेश कांत जेना ने कही। प्रजेश कांत जेना ने बताया की गर्मी के मौसम में प्रतिवर्ष सारंडा जंगल में आग लगाने व लगने की घटना सामने आती है।
जंगल में गिरे साल व अन्य पेड़-पौधों के सूखे पत्तों की वजह से आग और विकराल रुप धारण कर लेती है। इस आग से लाखों छोटे-बडे़ पेड़-पौधे एंव वन्यप्राणियों के साथ-साथ वन एंव पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है। आग से होने वाले प्रदूषण से लोगों को नुकसान पहुंचता है। इसी के मद्देनजर सारंडा के नुईया गांव क्षेत्र में वन विभाग ने प्रयोग के तौर पर बायोमास ब्रिकेटस प्लांट लगाने की योजना बनाई है। उल्लेखनीय है कि बायोमास ब्रिकेटस कोयले का बड़ा विकल्प है। जिन उद्योगों या जलावन कार्य में कोयले का इस्तेमाल किया जाता है उन जगहों पर बायोमास ब्रिकेट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। जिसका कारण है कि कोयले एंव लकड़ी को जलाने से वातावरण में काफी प्रदूषण उत्पन्न होता है। लेकिन अब बायोमास ब्रिकेटस का इस्तेमाल करने से प्रदूषण कम होगा।
बायोमास ब्रिकेटस को एग्रिकल्चर वेस्ट जैसे की जंगल के सूखे पत्ते, पराली, सोयाबीन, अखरोट, बादाम के छिलके इत्यादि से तैयार किया जाता है। प्लास्टिक को छोड़ हर वह चीज जिसे जलाया जाता है उसका इस्तेमाल करके बायोमास ब्रिकेटस तैयार किये जाते हैं। ब्रिकेटस बनाने वाले प्लांट में जंगल के सूखे पत्तों को उठाकर डाला जायेगा। यह मशीन पत्तों को चूर व प्रेस कर उसका विभिन्न साईज में गुल्ला बना देगी। इस गुल्ले को तमाम प्रकार के जलावन कार्य में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस गुल्ले को जलाने से प्रदूषण भी कम होगा।