Saraikela (सरायकेला) : जिले के गम्हरिया स्थित टाटा कंपनी विस्थापित जमीनदाताओं ने सोमवार सुबह स्थायी नौकरी समेत अन्य मांगों को लेकर कंपनी गेट चक्का जाम कर दिया है. जिससे कंपनी में सभी बड़े भारी वाहनों का आवागमन पूरी तरह ठप्प हैं.
गम्हरिया के दुग्धा गांव अंतर्गत दर्जन विस्थापित जमीनदाता को टाटा कंपनी प्रबंधन द्वारा काम से हटाये जाने से आक्रोशित ग्रामीणों ने गम्हरिया झुरकुली के पास स्थित गेट संख्या तीन ,चार एवं पांच छ: को जाम करते हुए सभी भारी वाहनों के आवागमन को रोक दिया है. जमीन से विस्थापित हुए लोगों ने बताया कि कंपनी प्रबंधन द्वारा 32 विस्थापित कामगारों को जबरन हटा दिया गया है. वर्ष 2013 में इन विस्थापितों ने अपनी जमीन उषा मार्टिन कंपनी को दी थी. इसके बाद 2017 में टाटा कंपनी ने अधिग्रहण किया. पूर्व में इन्हें नौकरी दी गई बाद में कंपनी प्रबंधन द्वारा अस्थाई ठेका कर्मी बनकर काम लिया गया और वर्तमान में सभी को काम से हटा दिया गया है. जिससे उनके समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है. विस्थापितों ने बताया कि आज चक्का जाम किया गया है वार्ता के बाद उनकी मांगे नहीं माने जाने पर कल से गेट जमकर मजदूरों के आने-जाने पर भी रोक लगा दी जाएगी.
झामुमो के बैनर झंडा लेकर किया चक्का जाम
टाटा कंपनी जमीन विस्थापितों ने सोमवार सुबह कंपनी के चारों गेट चक्का जाम करते हुए प्रबंधन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की झामुमो के बैनर तले विस्थापितों ने झंडा लेकर प्रदर्शन किया. कंपनी प्रबंधन द्वारा हटाए गए कुल 32 विस्थापितों में मुख्य रूप से टोपो माझी, शिकार माझी, भीम सोरेन, प्रधान हेमब्रम, मोसो हेमब्रम, नीलमोहन कैबर्तो, युधिष्ठिर प्रधान, अरुण प्रधान, केशव माझी, पवन प्रधान, विजय सिंह, कृष्णा प्रधान, कन्हैया तिवारी, जितेन्द्र प्रधान, मृत्युंजय वर्मन, सुरेश प्रधान, भोला प्रधान, सुदामा महाकुड, कुंवर प्रधान, मिहीर प्रधान,रामनाथ प्रधान, कृष्णा प्रधान, मुरली प्रधान, लालमोहन मंडल, बृजमोहन दास, ने पाल कैबर्त, सुफल मंडल, दीपक चन्द्र प्रमाणिक, अशोक प्रधान मुख्य रूप से शामिल हैं.