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    Jamshedpur Champai Soren in the Tribal Grand Court: आदिवासी महा दरबार में चंपाई सोरेन की हुंकार, 22 दिसंबर को 5 लाख समर्थकों संग भोगनाडी मार्च

    By The News24 Live14/09/2025Updated:27/09/2025No Comments3 Mins Read
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    जल-जंगल-जमीन की लड़ाई तेज, चंपाई सोरेन का सरकार को सीधा चैलेंज

    Jamshedpur (जमशेदपुर) : कोल्हान की धरती पर एक बार फिर आदिवासी अस्मिता की गूंज सुनाई दी। रविवार को एक्सएलआरआई ऑडिटोरियम में आयोजित आदिवासी महा दरबार में हजारों की संख्या में लोग जुटे। इस महा दरबार में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक चंपई सोरेन ने सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए आगामी 22 दिसंबर को ऐतिहासिक भोगनाडी में 5 लाख आदिवासियों के साथ जुटान करने की घोषणा की।

    ये भी पढ़े:-Adityapur Minister Champai Soren’s meeting: आदित्यपुर नगर निगम में कार्य योजनाओं के सुस्ती पर बिफरे मंत्री चंपई सोरेन, कहा नगर निगम झारखंड से अलग है क्या?

    कार्यक्रम में बोलते चम्पई सोरेन

    चंपई सोरेन ने मंच से कहा कि जिस पवित्र भूमि पर सिद्धू, कानू, चाँद, भैरव, फूलो और झानो ने अपने बलिदान से इतिहास रचा, वहां उन्हें सरकार ने जाने से रोका था। लेकिन अब वह पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने सरकार को चुनौती दी – “दम है तो रोक ले।” चंपई ने अपने भाषण में आदिवासी समाज के संघर्ष और बलिदान की गाथा दोहराई। उन्होंने कहा कि 300 साल से भी अधिक समय से आदिवासी जल, जंगल और जमीन की रक्षा करता आया है। लेकिन मौजूदा सरकार इन संसाधनों को खुलेआम बेच रही है। उन्होंने साफ कहा कि अब जमीन दान प्रथा खत्म करनी होगी।

    उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत का उदाहरण देते हुए कहा कि “200 साल तक राज करने वाली अंग्रेजी सत्ता से जब आदिवासी नहीं डरे तो किसी भी सरकार से डरने का सवाल ही नहीं उठता। जल-जंगल-जमीन पर हमारा हक है, और इसे कोई भी छीन नहीं सकता।”

    सरकारी अनाज़ की भीख ,मैया सम्मान लेना बंद करें आदिवासी समुदाय

    चंपई सोरेन ने आदिवासी समाज से सरकारी खाद्यान्न और मैया सम्मान योजना को ठुकराने की अपील की। उन्होंने कहा कि आदिवासी मेहनतकश और आत्मनिर्भर हैं, उनमें इतनी शक्ति है कि वे दूसरों को भी भोजन करा सकते हैं। इसलिए अब उन्हें सरकार की भीख नहीं, बल्कि अधिकार चाहिए।महादरबार में चंपई ने डेमोग्राफी बदलने के मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया। उन्होंने कहा कि “संथाल में डेमोग्राफिक बदलाव तेजी से हो रहा है, लेकिन सरायकेला का कपाली भी इससे अछूता नहीं है। कपाली के बंधुगोड़ा इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने आदिवासियों की 200 एकड़ से ज्यादा जमीन कब्जा ली है, जिसके चलते कई परिवार पलायन को मजबूर हो गए।”चंपई ने चेतावनी दी कि आदिवासी भूमि पर अवैध कब्जे और दूसरे समुदाय को सरकारी सुविधाएं देने की नीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

    इस महादरबार में झारखंड, बंगाल और उड़ीसा से आए कई वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे और आदिवासी समुदाय को एकजुट होकर हक और अधिकार की लड़ाई लड़ने की अपील की।

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