Jamshedpur (जमशेदपुर) : झारखंड आंदोलन के पुरोधा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष शहीद निर्मल महतो की 75वीं जयंती जमशेदपुर में सादगी और गरिमा के साथ मनाई गई।
इस अवसर पर शहर के विभिन्न हिस्सों, विशेषकर बिष्टुपुर और कदमा के उलियान में श्रद्धांजलि कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जहाँ हजारों की संख्या में समर्थकों और कार्यकर्ताओं ने अपने प्रिय नेता को याद किया।

समाधि स्थल पर जुटे दिग्गज नेता
कदमा के उलियान स्थित शहीद निर्मल महतो के समाधि स्थल पर सुबह से ही तांता लगा रहा। यहाँ ईचागढ़ की विधायक सविता महतो, जुगसलाई विधायक मंगल कालिंदी, पोटका विधायक संजीव सरदार और घाटशिला विधायक सोमेश चंद्र सोरेन समेत कई वरिष्ठ झामुमो नेताओं ने पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। बिष्टुपुर स्थित उनकी प्रतिमा पर भी विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों और आम जनता ने माल्यार्पण कर झारखंड आंदोलन में उनके योगदान को याद किया।
अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प
श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद विधायक सविता महतो ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि शहीद निर्मल महतो ने एक ऐसे झारखंड की कल्पना की थी जहाँ गरीबों, दलितों और आदिवासियों का शोषण न हो। उन्होंने कहा, “आज का दिन हमारे लिए केवल एक जयंती नहीं, बल्कि उनके संघर्षों को दोहराने का दिन है। निर्मल दा ने युवाओं को संगठित कर जो मशाल जलाई थी, उसे बुझने नहीं दिया जाएगा। उनके अधूरे सपनों को पूरा करना ही राज्य सरकार और हम सभी का मुख्य लक्ष्य है।”
आंदोलन के महानायक का सफर
25 दिसंबर 1950 को जन्मे निर्मल महतो ने बहुत कम उम्र में ही झारखंड अलग राज्य की मांग को लेकर संघर्ष शुरू कर दिया था। वे झामुमो के उन संस्थापक नेताओं में से थे जिन्होंने अपनी सांगठनिक शक्ति और प्रखर नेतृत्व से दिल्ली की सत्ता तक अपनी आवाज पहुँचाई। 8 अगस्त 1987 को जमशेदपुर के चमरिया गेस्ट हाउस के बाहर उनकी हत्या कर दी गई थी। आज उनकी जयंती पर लोगों ने राज्य की उन्नति और हक-अधिकार की रक्षा के लिए उनके बताए मार्ग पर चलने की शपथ ली।
