Ranchi : पूरे देश की तर्ज पर झारखंड में लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आ गए हैं. इस बीच झारखंड में एक बात जोर पकड़ने लगी है, वह है जयराम महतो की पार्टी-झारखंडी भाषा खतियानी संघर्ष समिति (जेबीकेएसएस) का झारखंड की राजनीति में बड़ी ताकत बनकर उभरना. खासकर, आजसू पार्टी के लिए इसे खतरे की घंटी के रूप में देखा जा रहा है. यहां तक की आजसू के गढ़ सिल्ली विधानसभा क्षेत्र में भी इस लोकसभा चुनाव में जेबीकेएसएस ने धमक दी है.
बात झारखंड के सबसे हॉट सीट रांची लोकसभा सीट की ही करें तो भले ही इस सीट से भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ जीत की हासिल करने में सफल रहें, लेकिन पूरे ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में जयराम महतो की पार्टी जेबीकेएसएस ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज की. इसका परिणाम यह रहा कि रांची से जेबीकेएसएस प्रत्याशी देवेंद्र नाथ महतो करीब 1.50 लाख से अधिक वोट लाने में सफल रहें. रही बात सिल्ली विधानसभा क्षेत्र की तो इस सीट से आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो चुनाव लड़ते हैं. जाहिर तौर पर यह क्षेत्र आजसू का गढ़ है. अब तक मिले मतों के आंकड़ों के मुताबिक यहां से भाजपा को जहां लगभग 57281 मत मिले, वहीं जेबीकेएसएस ने भी इस क्षेत्र में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करते हुए करीब 47000 मत प्राप्त किये. कांग्रेस पार्टी लगभग 39000 मतों के साथ यहां तीसरे नंबर पर रही. मतलब साफ है यदि सिल्ली इस बार भी पहले की तरह आजसू का मजबूत किला साबित होता तो रांची संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी की जीत का अंतर बेहद ज्यादा हो जाता, लेकिन जेबीकेएसएस के इस क्षेत्र तेजी से बढ़ते प्रभाव ने की वजह से ऐसा हो नहीं पाया. दूसरी ओर ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से भाजपा 96 हजार मतों के साथ पहले नंबर पर और कांग्रेस 58 हजार मतों के साथ दूसरे नंबर पर रही, लेकिन यहां भी जेबीकेएसएस प्रत्याशी ने करीब 38 हजार वोट प्राप्त किए. माना जा रहा है कि यदि आगे भी जेबीकेएसएस की इस क्षेत्र में इसी तरह तेजी से प्रभाव बढ़ता रहा तो यह आजसू के साथ सहयोगी दल भाजपा के लिए भी खतरे की घंटी होगी. क्योंकि आजसू के लिहाज से जहां सिल्ली विधानसभा क्षेत्र को पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो के गढ़ के रूप में महत्वपूर्ण है, वहीं ईचागढ़ क्षेत्र को आजसू पार्टी अब तक अपने बड़े नेता हरेलाल महतो के गढ़ के रूप में देखती रही है, लेकिन जिस तरह से दोनों विधानसभा क्षेत्रों में जेबीकेएसएस ने इस बार धमक दी है उसे देखते हुए कहें कि यह आजसू के साथ भाजपा के लिए भी खतरे की घंटी है, तो कहीं गलत नहीं होगा.
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