Chaibasa (चाईबासा) : चाईबासा नगर परिषद क्षेत्र में हर मंगलवार लगने वाला मंगला बाजार सिर्फ एक साप्ताहिक हाट नहीं, बल्कि पश्चिमी सिंहभूम के सैकड़ों गरीब आदिवासी किसानों और वनोपज विक्रेताओं की जीवनरेखा है। दूर-दराज़ के गांवों से लोग जंगल की उपज, घर में बने खाद्य पदार्थ और छोटे-मोटे सामान लेकर यहां पहुंचते हैं, ताकि सप्ताह भर के लिए अपने परिवार का पेट भर सकें।
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लेकिन मंगला बाजार की मौजूदा तस्वीर किसी सरकारी विज्ञापन की चमकदार स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि व्यवस्था की वह नंगी सच्चाई है, जिसे अक्सर फाइलों और मंचों के पीछे छिपा दिया जाता है।
जहां एक ओर मंचों से यह दावा किया जाता है कि “झारखंड में आदिवासियों की सरकार है”, वहीं ज़मीन पर आदिवासी किसान कचरे के ढेर, सड़े-गले अवशेष, प्लास्टिक और बदबू के बीच बैठकर अपनी आजीविका बेचने को मजबूर हैं। यह बाजार कम और कूड़ा डंपिंग यार्ड ज़्यादा प्रतीत होता है।


