Jamshedpur : परमाणु उर्जा नियामक बोर्ड एवं परमाणु उर्जा विभाग द्वारा यूसिल नरवा पहाड़ के भाभा सभागार में आयोजित तीन दिवसीय 39वीं डीएई सुरक्षा एवं व्यावसायिक स्वास्थ्य पेशेवरों की तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन सम्मलेन के मुख्य अतिथि परमाणु उर्जा नियामक के आयोग के अध्यक्ष दिनेश कुमार शुक्ला, विशिष्ट अतिथि हैवी वाटर बोर्ड के अध्यक्ष एस. सत्यकुमार, बोर्ड के कार्यपालक निदेशक एस बी चापले, , यूसिल जादूगोड़ा के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक चंद्रू कुमार असनानी, तकनिकी निदेशक राजेश कुमार परमाणु उर्जा नियामक बोर्ड के तकनिकी अधिकारी डॉ दिप्तेंदु दास तथा अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया . इसी के साथ ओद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा, स्वास्थ्य और उसके तौर तरीको पर चर्चा करने के लिए तीन दिवसीय सम्मलेन आरम्भ हो गया.
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इस समारोह में स्वागत भाषण देते हुए यूसिल के तकनिकी निदेशक राजेश कुमार ने कहा की ओद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन के साथ -साथ सुरक्षा मानको का पालना करना तथा कर्मचारियों का स्वास्थ्य भी सही रखना एक बड़ी चुनौती है . आज हमलोग अपने कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों का सामंजस्य बैठा कर उत्पादन की ओर कैसे अग्रसर हो इस विषय पर रायशुमारी करने के लिए एकत्र हुए हैं. मुझे उम्मीद है की सभी लोग एक – दूसरे के अनुभवों को आपस में साझा करके कुछ नया करने के लिए प्रेरित होंगे.
समारोह के मुख्य अतिथि दिनेश कुमार शुक्ला ने इस अवसर पर डॉ० एस. एस रामास्वामी स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा की आज के समय में ओद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा और उसके साथ -साथ वहां काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत जरुरी हो गया है . समय के साथ – साथ पेशेवर व्यवसाय में निरंतर सुधार जरुरी है. मगर इन सबके लिए व्यवहार और व्यावहारिक होना भी जरुरी . हम अपने दैनिक जीवन में सबसे पहले अपने व्यवहार में जिम्मेदारी अनुशासन और सतर्कता को शामिल करें तो बहुत हद तक अपने कार्यक्षेत्र में दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं को कम कर सकते हैं. हम अपने कार्यक्षेत्र में उत्पादन में लगे मशीनों को समय -समय पर दुरुस्त करते रहें तो दुर्घटना को काफी कम किया जा सकता है. उसकी प्रकार यदि हमलोग अपने दैनिक जीवन में अपने स्वास्थ्य के लिए समय निकाल लें तो इस जोखिम को भी कम किया जा सकता है. और ये संभव है सतर्कता से. और इस सभी आदतों को अपने व्यवहार में शामिल करने जरुरी है .
उन्होंने कहा की देश में जब सन -1984 में भोपाल में यूनियन कार्बाइड गैस प्लांट में गैस लीक होने की वज़ह से गैस त्रासदी हुई तो उसी घटना के बाद से ओद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के बारे में चिंता होने लगीऔर इसपर काम किया जाने लगा. 1991 से न्यूकिलर सेफ्टी की दिशा में काम शुरू हुआ जो अब एक वृहत अभियान बन चूका है. और लगातार इसपर चर्चा और सुधार हो रहा है.
परमाणु उर्जा नियामक बोर्ड के तकनिकी अधिकारी डॉ दिप्तेंदु दास ने कहा की 1982 में जब बोर्ड ने इस प्रकार का कार्यक्रम दक्षिण भारत के कलपक्कम में आयोजित किया था तो उस समय उस कार्यक्रम में देश भर से ओद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए इस क्षेत्र से जुड़े केवल 9 लोग आये थे. आज चालीस साल के सफ़र में यह देखकर ख़ुशी हो रही है की अब करीब 200 लोग इस प्रकार के कार्यक्रम में जुटकर जनहित में अपने विचार साझा करके कुछ नया करने का प्रयास कर रहे हैं.
कार्यक्रम को यूसिल के सीएमडी डॉ चंद्रू कुमार असनानी ने संबोधित करते हुए कहा की वर्तमान समय में किसी भी उद्योग को चलाने के लिए चुनौतियाँ बहुत है मगर हमारे पास भी ऐसे लोग हैं जो सर चुनौती का सामना करके कुछ नया करने का जज्बा रखते हैं यह बड़ी बात है. भारत आज परमाणु उत्पादन में आत्मनिर्भर है तो इसका श्रेय उन सभी लोगो को जाता है जो इस परियोजना से जुड़कर दिनरात मेहनत तो कर ही रहे हैं . उसके साथ -साथ सुरक्षा और स्वास्थ्य के मनको का भी ख्याल रख रहे हैं. उन्होंने आशा व्यक्त किया की इस सम्मलेन से जरुर कुछ ऐसा निकलकर आएगा जो काफी उपयोगी साबित होगा. क्योंकि हर वर्ष ऐसे कार्यक्रमों में देश भर के अलग -अलग संयंत्रों से आये हुए विशेषज्ञ अपने -पाने विचारों का आदान -प्रदान कर रहे हैं .
इसके बाद देशभर से आये परमाणु संयंत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले संयंत्रों के प्रितिनिधियों को फायर सेफ्टी अवार्ड, ओद्योगिक सुरक्षा अवार्ड आदि का मुख्य अतिथि दिनेश कुमार शुक्ला ने वितरण किया.
इस मौके पर यूसिल के जीएम मनोज कुमार, मनोरंजन महाली, डीजीएम राकेश कुमार, प्रभास रंजन, पी के पहाड़ी,पी के तामरकर, यूसिल स्वास्थ्य विभाग से सीएमओ डॉ देवाशीष भट्टाचार्जी, डॉ मानस कुमार रजक,डॉ एस डी एन शर्मा, डॉ रंजना कुमारी सहित देश भर से आये विभिन्न इकाईयों के प्रतिनिधि उपस्थित थे .