Ranchi/Chaibasa (रांची/चाईबासा) : झारखंड में बच्चों को संक्रमित रक्त (HIV) चढ़ाए जाने के मामलों ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। इस पर झारखंड हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए अधिकारियों को फटकार लगाई है और कहा है कि ऐसी घटनाएं बेहद गंभीर हैं, जिन्हें तत्काल रोका जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह, एड्स कंट्रोल सोसाइटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और ड्रग कंट्रोलर को तलब किया। कोर्ट ने राज्य सरकार से सभी निजी और सरकारी ब्लड बैंकों व डोनेशन कैंपों का विस्तृत ब्यौरा मांगा है। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि नेशनल ब्लड पॉलिसी को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार कर पेश किया जाए।

महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि राज्य में नियमित रूप से ब्लड डोनेशन कैंप लगाए जा रहे हैं और सभी जिलों में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (NAT) मशीनें लगाने की प्रक्रिया शुरू है, ताकि सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराया जा सके।
मामला कैसे शुरू हुआ
रांची में एक थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के बाद उसकी रिपोर्ट एचआईवी पॉजिटिव आई। बच्चे के पिता ने इस संबंध में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा, जिसे अदालत ने जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर लिया। इसके बाद चाईबासा सदर अस्पताल में भी पांच बच्चों के एचआईवी संक्रमित होने की आशंका सामने आई, जिससे राज्य सरकार और न्यायपालिका दोनों सक्रिय हो गए।
चाईबासा मामले में बड़ा खुलासा
पश्चिमी सिंहभूम जिला मजदूर कामगार यूनियन के नेता माधव चंद्र कुंकल ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया कि उनकी गलती से 7 वर्षीय बच्चे को संक्रमित रक्त चढ़ा दिया गया। बच्चा लंबे समय से थैलेसीमिया से पीड़ित था और नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान उसे संक्रमित ब्लड दिया गया।
जांच और कार्रवाई
25 अक्टूबर को हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार की विशेष जांच टीम रांची से चाईबासा पहुंची। स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. दिनेश कुमार की अध्यक्षता में बनी टीम ने ब्लड बैंक का निरीक्षण किया और कई खामियां पाईं। रिपोर्ट में सामने आया कि बच्चे को 13 सितंबर को ब्लड चढ़ाया गया था और 18 अक्टूबर को उसकी एचआईवी रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
26 अक्टूबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तत्काल प्रभाव से कार्रवाई के आदेश दिए। उन्होंने चाईबासा के सिविल सर्जन सुशांतो कुमार मांझी को निलंबित करने और पीड़ित परिवारों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का निर्देश दिया। साथ ही संक्रमित बच्चों का पूरा इलाज सरकार की ओर से कराने की घोषणा की।
उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन
राज्य सरकार ने इस घटना की गहन जांच के लिए छह सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव डॉ. नेहा अरोड़ा कर रही हैं। समिति को ब्लड बैंक की सभी प्रक्रियाओं—रक्त संग्रहण, जांच, भंडारण और वितरण—की समीक्षा कर 7 दिनों में रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
29 अक्टूबर: विशेष सचिव पहुंचीं चाईबासा
29 अक्टूबर को डॉ. नेहा अरोड़ा के नेतृत्व में टीम ने चाईबासा सदर अस्पताल का निरीक्षण किया और ब्लड बैंक के रिकॉर्ड की जांच की। जांच के बाद डॉ. अरोड़ा ने राज्य के सभी ब्लड बैंकों को निर्देश दिया कि अब रक्त की जांच केवल एलाइजा टेस्ट से की जाएगी और एचआईवी टेस्टिंग की पुरानी किटों का उपयोग नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अब रक्त सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाए हैं ताकि भविष्य में किसी भी मरीज, खासकर बच्चों, को संक्रमित रक्त न दिया जाए।

 
