जमशेदपुर। अरका जैन विश्वविद्यालय (Arka Jain University) में झारखण्ड स्थापना दिवस के अवसर पर 11 से 14 नवम्बर तक चलने वाले विविध सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों की श्रृंखला का शुभारंभ किया गया।

यह आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के बैनर तले स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज और स्कूल ऑफ नर्सिंग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। समारोह जनजातीय गौरव वर्ष के अंतर्गत भी मनाया जा रहा है।कार्यक्रम की शुरुआत “झारखण्ड राज्य स्थापना आंदोलन” विषय पर परिचर्चा से हुई, जिसमें वक्ताओं ने राज्य के निर्माण की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, जनसंघर्ष और आंदोलन की भावना पर विस्तृत चर्चा की। इस अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा पारंपरिक लोकनृत्य, झारखण्डी गीतों की प्रस्तुति और भगवान बिरसा मुंडा पर आधारित एक प्रेरक डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई।
कला मंदिर और मेधाविनी के छात्र-छात्राओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लेकर कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के अध्यक्ष डॉ. एस. एस. रज़ी, प्रति कुलपति प्रो. (डॉ.) अंगद तिवारी और कुलसचिव डॉ. अमित कुमार श्रीवास्तव सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
अपने प्रेरणादायी संबोधन में प्रति कुलपति प्रो. अंगद तिवारी ने कहा कि “झारखण्ड आंदोलन हमारी अस्मिता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। शिक्षा और सामाजिक चेतना राज्य निर्माण की सबसे महत्वपूर्ण आधारशिलाएं हैं।”कुलसचिव डॉ. अमित कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि झारखण्ड की सांस्कृतिक विविधता उसकी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे “परंपरा, लोकसंस्कृति और शिक्षा के समन्वय से राज्य के सर्वांगीण विकास में योगदान दें।”एनएसएस अधिकारी डॉ. मनोज कुमार पाठक, जो समारोह के नोडल अधिकारी भी हैं, ने विषय-प्रवेश वक्ता के रूप में कहा कि “झारखण्ड की स्थापना केवल राजनीतिक उपलब्धि नहीं, बल्कि यह हमारी पहचान, संघर्ष और सांस्कृतिक अस्तित्व का प्रतीक है।”
सहायक डीन डॉ. राहुल अमीन ने कहा कि झारखण्ड की लोककला, लोकगीत और भाषाएँ हमारी आत्मा हैं, और इनका संरक्षण हर विद्यार्थी का कर्तव्य होना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन बी.ए. अंग्रेज़ी की छात्राएँ शन्ना और प्रिया ने किया, जबकि प्रो. उषा किरण बारला ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रो. जीनू जोसेफ, डॉ. शाहीन फातमा, प्रियंका टुडू और मनीषा सिंह का विशेष योगदान रहा।

