Bihar Elections Banka Assembly Constituency: भाजपा से बगावत आस्था बिल्डर्स के कौशल सिंह के नहीं आई काम, चुनावी मैदान में फिर साबित हुए फिसड्डी, जानिये क्या है जमशेदपुर कनेक्शन
Patna (पटना) : बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने साफ कर दिया है कि सूबे में एकबार फिर एनडीए की सरकार बनने जा रही है. आज हम बात करेंगे बिहार के एक हॉट सीट, बांका विधानसभा सीट की. जहां भाजपा प्रत्याशी नारायण मंडल ने जीत का परचम लहराया है, लेकिन हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स की-जो भाजपा से इस सीट से टिकट मिलने की आस लगाए बैठे थे. बावजूद इसके चुनाव के ऐन वक्त पहले जब इन्हें भाजपा से टिकट मिलना तय नहीं दिखा तो इन्होंने जनसुराज पार्टी का दामन थाम लिया और चुनावी मैदान में जोर आजमाइश भी की. फिर भी जनता ने उन्हें दोबारा नकार दिया.
जी-हां, हम बात कर रहे हैं जनसुराग पार्टी के प्रत्याशी कौशल कुमार सिंह की, जिन्होंने पिछली विधानसभा चुनाव में भी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी और एआईएम के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में बांका से चुनावी मैदान में भाग्य आजामाया था, लेकिन उस दौरान भी उन्हें चुनावी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. रही बात इनके जमशेदपुर कनेक्शन की तो, कौशल कुमार सिंह की यहां के मशहूर बिल्डर के रूप में पहचान है. वे आस्था बिल्डर्स के कर्ताधर्ता हैं. इस कंपनी ने शहर और आस-पास कई शानदार-आलीशान प्रोजेक्ट दिए हैं.
क्यों थामा जनसुराज पार्टी का दामन
दरअसल, चुनाव से पहले हुए घटनाक्रम के मुताबिक बांका की सियासत में बड़ा बदलाव देखने को तब मिला है, जब कौशल कुमार सिंह भाजपा से बागी हो गएं और उन्होंने जनसुराज पार्टी का दामन थाम लिया. इससे पूर्व आस्था बिल्डर्स के कौशल कुमार सिंह पिछले एक वर्ष से भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के रूप में सक्रिय थे. उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी इस बार उन पर भरोसा जताएगी, लेकिन भाजपा ने पुनः पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक रामनारायण मंडल को ही अपना प्रत्याशी बनाया. इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि कौशल सिंह किसी अन्य दल से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं और हुआ भी कुछ ऐसा ही. उन्होंने जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी के रूप में बीते 20 अक्टूबर को चुनावी पर्चा दाखिल किया था. यह अलग बात है कि पिछली बार की तरह उन्हें एक बार फिर चुनावी हार का सामना करना पड़ा.
सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में रहें सक्रिय
ऐसा भी नहीं है कि जमशेदपुर से मजबूत कनेक्शन रखने वाले कौशल कुमार सिंह ने बांका विधानसभा क्षेत्र में पहले से सक्रियता नहीं दिखाई थी. वे क्षेत्र में सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों में लगातार सक्रिय रहें. इसी वर्ष उन्होंने अपने गौरा स्थित आवास पर मां दुर्गा मंदिर की स्थापना कराई थी, जिसमें बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री समेत कई विद्वान पंडितों ने शिरकत की थी.
पिछले चुनाव में यह थी स्थिति
बात करें 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव की तो, बांका सीट से भाजपा के राम नारायण मंडल ने 69,762 वोट (43.8%) हासिल कर जीत दर्ज की थी.उनके सामने आरजेडी के जावेद इकबाल अंसारी को 52,934 वोट (33.24%) मिले थे. राम नारायण मंडल को 16,828 वोटों से जीत मिली थी. वैसे भी, बांका सीट पर सत्ता का पलड़ा कई बार बदलता रहा है.
कभी यह क्षेत्र झामुमो और राजद का गढ़ माना जाता था. लेकिन 2015 के बाद से इस सीट पर भाजपा ने लगातार मजबूती दिखाई है. इस चुनाव में भी यह सीट भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जा रही है. एक ओर जहां भाजपा अपने गढ़ को बचाने में जुटी रही, वहीं सीपीआई पुराने प्रभाव को लौटाने की कोशिश में रही.
इतना ही नहीं, जन सुराज और निर्दलीय उम्मीदवारों की मौजूदगी से यहां बहुकोणीय मुकाबला की उम्मीद भी जग गई थी, लेकिन भाजपा ने इस सीट पर बाजी मारते हुए एक बार फिर अपनी मजबूत पकड़ का दिखा दी.