पटना/रांची : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन की एकता पर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर गहराया विवाद अब महागठबंधन की मजबूती पर बड़ा खतरा बन गया है। वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को दरकिनार कर राजद ने एक भी सीट नहीं दी, जिससे नाराज JMM ने कम से कम छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
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JMM ने साफ कर दिया है कि यदि उसे सम्मानजनक हिस्सेदारी नहीं दी गई तो वह “एकला चलो रे” के सिद्धांत पर चुनाव मैदान में उतरेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिहार चुनाव के लिए अपने स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी है।
इधर, कांग्रेस भी अपने रुख पर अडिग है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राजद ने कई सीटों पर सीधे-सीधे गठबंधन धर्म का उल्लंघन किया है। सबसे बड़ा विवाद कुटुंबा सीट पर खड़ा हुआ है, जहां पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। बावजूद इसके राजद ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया। कांग्रेस ने स्पष्ट कहा है कि वह अपनी परंपरागत सीट किसी भी हाल में छोड़ने को तैयार नहीं है।
कांग्रेस नेताओं ने साफ शब्दों में कहा है कि अब फैसला राजद को करना है। या तो वह अपने प्रत्याशी वापस ले, या फिर महागठबंधन के सहयोगी दल आमने-सामने चुनाव लड़ें। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी राहुल गांधी को दे दी है। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी भी राजद के रवैये से बेहद नाराज हैं और उन्होंने फिलहाल बातचीत रोकने का संकेत दिया है।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यदि महागठबंधन के भीतर यह तनातनी इसी तरह जारी रही तो इसका सीधा लाभ भाजपा-जदयू गठबंधन यानी एनडीए को मिल सकता है। चुनाव से ठीक पहले घटक दलों के बीच बढ़ती दरार ने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को भी असमंजस की स्थिति में डाल दिया है।
निष्कर्षतः बिहार चुनाव में महागठबंधन की तस्वीर उलझी हुई है। अब सबकी नजरें राजद की अगली रणनीति पर टिकी हैं, क्योंकि उसी पर गठबंधन की एकता और चुनावी नतीजों का भविष्य निर्भर करेगा।

