Saraikela : सरायकेला-खरसावां जिले के आदित्यपुर गम्हरिया अंचल के आनंदपुर मौजा में आस्था ग्रुप के निर्माणाधीन वाटर मार्क प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगने का खतरा बढ़ता नजर आ रहा है. मामला आस्था ग्रुप के इस निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में 1.92 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे से लेकर जुड़ा हुआ है. इसका अंचल कार्यालय की जांच में खुलासा होने के बाद प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य से जुड़े लोगों में हड़कंप का माहौल देखा जा रहा है.
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इस बीच प्रशासनिक स्तर पर यह खुलासा हुआ है कि मामले से जुड़े सभी पक्षों की सुनने के बाद बिल्डर का पक्ष भी लिया जाएगा. उसके बाद ही इस पूरे प्रकरण में कोई ठोस फैसला लिया जाएगा. इसे लेकर सरायकेला की एसडीओ पारुल सिंह का कहना है कि अभी मामले की जांच चल रही है. इस मामले में सीओ की रिपोर्ट आयी है. उसके बाद इस परियोजना से जुड़े लोगों से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गयी है. उसके बाद ही इस पूरे मामले में किसी तरह का फैसला होगा. एसडीओ के मुताबिक इस निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में जमीन पर अवैध कब्जे से लेकर शिकायत मिली थी. उसी शिकायत के आधार पर अंचल अधिकारी के स्तर पर जांच करायी गयी. यह जांच रिपोर्ट अंचलाधिकारी ने समर्पित कर दी है. उनकी रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद बिल्डर का भी पक्ष सुना जायेगा. फिर मामले की पुख्ता जांच कर अंतिम निर्णय पर पहुंचा जाएगा.
दरअसल इस मामले में अंचल कार्यालय की जांच के बाद जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके मुताबिक बताया जा रहा है कि बिल्डर ने निर्माणाधीन वाटर मार्क प्रोजेक्ट के गेट में खाता संख्या 104, प्लॉट संख्या 29/ पी में 0.44 डिसमिल और प्लॉट संख्या 64/ पी में 1.37 डिसमिल कुल 1.81 डेसिमल जमीन पर अवैध कब्ज़ा किया गया है. वहीं प्रोजेक्ट के चाहर दीवारी के अंदर खाता संख्या 104, प्लॉट संख्या 64/ पी में 10 डिसमिल, 63/ पी में 58 डिसमिल, खाता संख्या 103 के प्लॉट संख्या 43/ पी में 1.18 एकड़ और खाता संख्या 44/ 674 में 0.02 एकड़ कुल 1.88 एकड़ जमीन जो अनाबाद बिहार सरकार की जमीन है पर कब्ज़ा किया गया है. इसी तरह सरकारी रास्ता के खाता संख्या 104 के प्लाट संख्या 27 पी में 2.00 डेसिमल और 28 पी में 1.00 डेसिमल कुल 3 डिसमिल जमीन पर अवैध कब्ज़ा किए जाने का खुलासा हुआ है.
तत्कालीन सीओ ने प्रोजेक्ट पर लगाया था रोक
गम्हरिया के तत्कालीन अंचलाधिकारी मनोज कुमार ने इस बहुचर्चित प्रोजेक्ट की घेराबंदी पर रोक लगा दी थी. इस बीच उनका तबादला हो गया. यह देख बिल्डर पर उस भूखंड की घेराबंदी करने का भी आरोप है. आगे मामले की जांच पूरा होने के बाद प्रशासन का क्या फैसला आता है, इस पर सबों की निगाहें जा टिकी है.
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