Jamshedpur: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह सरायकेला के भाजपा विधायक चंपाई सोरेन रविवार शाम जमशेदपुर के करनडीह स्थिति जाहेरथान में आयोजित बाहा बोंगा पर्व में शामिल होने पूरे परिवार के साथ पहुंचे।


पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा में चंपई सोरेन ने जाहेरथान में पूजा अर्चना के बाद इस मौके पर चंपाई सोरेन ने कहा की बाहा पर्व में आदिवासी समुदाय के लोग अपने सृष्टिकर्ता और प्रकृति के देवता मरांगबुरू, जाहेर आयो, लिटा मोणें व तुरूईको के प्रति अपनी श्रद्धा और आभार प्रकट करते हैं. समाज के लोग अपने पारंपरिक पुजारी नायके बाबा व माझी बाबा के मार्गदर्शन में सृष्टिकर्ता के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रकट करते हैं. वे निरंतरता से प्राकृतिक तत्वों के साथ एक संपर्क में रहते हैं, जिसका परिणामस्वरूप उनके जीवन में संतुलन और समृद्धि होती है. बाहा पर्व में आराध्य देवी-देवताओं को उनका प्रिय फूल सारजोम बाहा (सखुआ फूल) एवं मातकोम गेल (महुआ फूल) अर्पित करते हैं. इन फूलों का पूजन करके लोग अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध को मजबूत करते हैं. फिर उन्हें नायके बाबा के द्वारा समाज के लोगों के बीच बांटा जाता है, जिससे समृद्धि और सामूहिक एकता का संदेश मिलता है.बाहा पर्व पर समुदाय के लोग एक-दूसरे के साथ सामंजस्य और सहयोग के भाव को मजबूत करते हैं. यह पर्व समृद्धि, सौहार्द और प्राकृतिक संबंधों को मजबूत करता है.

गौरवशाली है आदिवासियों का इतिहास इसे बचाए रखूंगा
इस मौके पर चंपई सोरेन ने कहा कि न सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे देश विदेश में आदिवासियों का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। झारखंड में आज आदिवासी अस्मिता खत्म करने की साजिश रची गई है। जिसका पुरजोर विरोध करते हैं। इन्होंने कहा कि झारखंड में झारखंडियों के आदिवासी अस्मिता ,इनकी पहचान बनाए रखने का संकल्प लेते हैं। घुसपैठी और धर्मांतरण के साथ आदिवासियों के पहचान को मिटाने की जो तैयारी चल रही है। इसे कभी पूरा नहीं होने देंगे।