सरायकेला: कांड्रा स्थित अमलगम स्टील एंड पावर लिमिटेड को लेकर स्थानीय स्तरों पर फैल रही अफवाहों को लेकर कंपनी से जुड़ी विस्थापित/प्रभावित श्रमिक सहयोग समिति ने स्पष्ट बयान जारी किया है। समिति ने कहा कि यह दावा पूरी तरह झूठा और भ्रामक है कि कालिन्दी समाज के लोगों को कंपनी में रोजगार नहीं दिया गया।
समिति ने बताया कि कंपनी की स्थापना वर्ष 2004–05 में कालिन्दी परिवार की लगभग 4.70 एकड़ भूमि पर की गई थी। उस समय प्रति एकड़ ₹1 लाख 75 हजार रुपये का मुआवजा दिया गया था। इसके साथ ही, कालिन्दी परिवार के कई सदस्यों को कंपनी में स्थायी और नियमित नौकरी प्रदान की गई थी। इन नियुक्त लोगों में सुसेन कालिन्दी, लक्खी, धीरेन, रामपदो, राखी, मुसरु, हाराधन, दुखु, अजित, संतोषी, करमी, गणेश, रवि, जोगेन, ज्योत्सना, निताई, मनटू, गोविन्दो, सनातन, कृष्णा, अर्जुन और पंकज कालिन्दी समेत कई अन्य नाम शामिल हैं।समिति ने स्पष्ट किया कि अमलगम स्टील एंड पावर लिमिटेड ने हमेशा से विस्थापित परिवारों के अधिकारों की रक्षा की है और औद्योगिक सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रही है। नियुक्ति और सहयोग की प्रक्रिया जाति, समाज या समुदाय के आधार पर नहीं, बल्कि विस्थापन समझौते और योग्यता के अनुसार तय की जाती है।
विस्थापित/प्रभावित श्रमिक सहयोग समिति ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा कंपनी की छवि को धूमिल करने की मंशा से गलत बातें फैलाई जा रही हैं। जबकि सच्चाई यह है कि कालिन्दी समाज के कई सदस्य आज भी कंपनी में नियमित रूप से कार्यरत हैं और अपने परिश्रम से कंपनी की प्रगति में योगदान दे रहे हैं।समिति ने सभी से अपील की है कि किसी भी अफवाह या अपुष्ट जानकारी पर विश्वास न करें और तथ्यों की जांच करने के बाद ही निष्कर्ष निकालें। कंपनी और समिति मिलकर विस्थापित परिवारों के हितों की रक्षा और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है।