Chaibasa : – पश्चिमी सिंहभूम जिले के टोंटो प्रखण्ड स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की 8 वीं कक्षा की एक छात्रा को समय पर इलाज नहीं मिल पाने के कारण उसकी मौत हो गई. छात्रा की मौत के बाद ग्रामीणों ने जमकर हंगामा कर दिया.
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पूरी घटना का मृत छात्रा की सहेलियों ने आंखों देखा हाल बताया. उन्होंने बताया कि टोंटो प्रखंड लिसिया गांव स्थित कस्तूरबा गांधी के मृगलीड गांव निवासी छात्रा 15 वर्षीय लुदूरी हेम्ब्रम पाठ्यरत थी स्कूल की गर्मी की छुट्टी में वो अपने घर गई हुई थी. गर्मी छुट्टी खत्म होने पर उसकी मां ने 16 जून को लुदूरी हेम्ब्रम को विद्यालय छोड़ कर गई थी. दूसरे ही दिन 17 जून को रात को छात्रा लुदूरी हेम्ब्रम की अचानक ताबियत खराब हो गई. विद्यालय की अन्य छात्राओं ने इसकी जानकारी वार्डेन को दी. उनके अनुसार लेकिन वार्डेन ने उसकी तबियत खराब होने के बावजूद उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया. छात्राओं के बार बार तबियत बिगड़ने की बात कहने पर वार्डेन ने लुदूरी हेम्ब्रम के परिजनों को फोन पर उसके तबियत बिगड़ने की जानकारी देने को कही. लेकिन वार्डन ने कुछ देर फोन लगाने के बाद कह दिया कि फोन नहीं लग रहा है.
समय बीतता गया और छात्रा की तबियत और बिगड़ने लगी. तबियत बिगड़ते देख अन्य छात्राओं ने पीड़ित छात्रा को पानी पिलाया, खाना खिलाया. उसकी सहेलियों ने हर संभव मदद करने का प्रयास करती रही. लेकिन पीड़ित छात्रा की तबीयत बिगड़ती चली गई. बुधवार रात जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो बोलना भी बंद कर दिया. जब छात्रा की स्थिति गंभीर दिखी तब वार्डन ने पीड़ित छात्रा को अस्पताल ले जाने का प्रयास किया. जिसके लिए हॉस्टल के खड़े एंबुलेंस के ड्राइवर गुलशन को फोन किया, लेकिन उसका फोन उस दौरान नहीं लग सका. जिसके बाद वार्डन ने 108 पर फोन किया, लेकिन वंहा से भी कोई मदद नही मिली. जिस कारण पीड़ित छात्रा हॉस्टल में ही पड़ी रही.
गुरूवार को सुबह भी विद्यालय प्रबंधन द्वारा कोई व्यवस्था नही की गई. दोपहर के 1 बजे जाकर उसे अस्पताल ले जाने की तैयारी की जा रही थी कि तभी छात्रा ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. बाद में वार्डन अपनी बचाव को देखते हुए उसे सदर अस्पताल ले गई. लेकिन वहां डॉक्टर ने जांच पड़ताल कर उसे मृत घोषित कर दिया. इधर, इस घटना को लेकर पीड़िता के परिजन और ग्रामीण आक्रोशित हैं, उन्होंने इस मामले को लेकर जमकर हंगामा किया.
कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय के टोंटो लिसिया की वार्डेन अनिता कुमारी का कहना है कि छात्राओं के द्वारा लुदूरी हेंब्रम का बीमार होने की कोई जानकारी ही नही दी गई. बच्चे ऐसे मामले को बहुत देर से बताते हैं. बच्चे जब तबीयत ज्यादा खराब होने लगती है तो सूचना देती है. टोंटो क्षेत्र में रात के वक्त अस्पताल ले जाने की कोई सुविधा नही मिलती. एम्बुलेंस चालक भी रात में अपने घर चला जाता है. उसे भी फोन किया गया था, लेकिन उसका फोन नहीं लगा. उसके बाद 108 को फोन किया पर कोई मदद नही मिली, किसी तरह सुबह हुई तो गुरूवार को हॉस्टल के एम्बुलेंस से चाईबासा सदर अस्पताल ले जाया गया. लेकिन वहां डॉक्टर ने छात्रा को मृत घोषित कर दिया. उन्होंने बताया कि मामले में मैंने अपने तरफ से कोई लापरवाही नही की है.