Jamshedpur (जमशेदपुर) : झारखंड के चाईबासा में सोमवार देर रात आदिवासी समुदाय द्वारा दिन में भारी वाहनों पर “नो एंट्री” की मांग को लेकर किए जा रहे शांतिपूर्ण आंदोलन पर पुलिस लाठीचार्ज ने पूरे राज्य की राजनीति को झकझोर दिया है। यह बातें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह भाजपा के विधायक चंपाई सोरेन ने प्रेस वार्ता में कहीं।

चंपई सोरेन ने कहा की आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसाना और आंसू गैस के गोले दागना न केवल अमानवीय, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है। आदिवासी संगठनों की मांग केवल सड़क सुरक्षा से जुड़ी थी, परंतु सरकार ने आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। यह घटना कोई अलग मामला नहीं है। पहले भोगनाडीह में वीर सिदो-कान्हू के वंशजों पर लाठीचार्ज, फिर नगड़ी में किसानों पर पुलिस कार्रवाई, और अब चाईबासा — घटनाओं की यह श्रृंखला सरकार की आदिवासी विरोधी मानसिकता को उजागर करती है। चम्पई ने आरोप लगाया है कि “अबुआ झारखंड” का नारा देने वाली सरकार ने आदिवासी समाज को सिर्फ छलावा दिया है। विकास के नाम पर सरना स्थलों पर अतिक्रमण, खेतिहर जमीनों पर कब्जा और फर्जी मुकदमों के जरिए आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है।
चाईबासा में हाल ही में संक्रमित रक्त चढ़ाने से पांच आदिवासी बच्चों की मौत के मामले में भी सरकार की भूमिका पर सवाल उठे हैं। अब राज्य भर में आदिवासी संगठन एकजुट होकर सरकार के इस दमनकारी रवैये के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं। चंपई सोरेन ने कहा “जब भी हमारे अधिकारों पर हमला होगा, हम सड़कों पर उतरकर उसका जवाब देंगे। यह संघर्ष हमारी अस्मिता का है, आगे चंपई ने घोषणा की है कि बुधवार 29 अक्टूबर को कोल्हान बंद रहेगा।

