Chaibasa (चाईबासा) : सिंहभूम की सांसद जोबा माझी राजनीति की व्यस्तताओं के बीच भी अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक परंपराओं से गहराई से जुड़ी हुई हैं। मंगलवार को संथाल समाज के प्रमुख त्योहार सागुन सोहराई के अवसर पर उनका यह जुड़ाव एक बार फिर साफ नज़र आया। चक्रधरपुर स्थित अपने पंप रोड आवास पर सांसद जोबा माझी को पारंपरिक तरीके से रंगगोली सजाते देखा गया।
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संथाल समाज का यह पर्व खासतौर पर मवेशियों, खासकर गाय और बैल, को सम्मान देने और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार अच्छी फसल की कामना से भी जुड़ा है। पांच दिनों तक चलने वाले इस पर्व के दौरान गोधन (गाय-भैंस), हल और खेती-बाड़ी के अन्य औजारों की पूजा की जाती है। ग्रामीण जीवन और कृषि कार्यों में इनका विशेष महत्व होने के कारण इन्हें पवित्र माना जाता है।

सिर्फ कृषि और मवेशियों का सम्मान ही नहीं, बल्कि यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते की अहमियत को भी दर्शाता है। समाज में भाई-बहन के बीच आपसी स्नेह और जिम्मेदारी को मजबूत करने के लिए भी इसे खास अवसर माना जाता है।
सांसद जोबा माझी ने इस मौके पर कहा कि सागुन सोहराई वास्तव में एक फसल उत्सव है, जो प्रकृति और धरती मां के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर देता है। उन्होंने बताया कि यह पर्व संथाल समाज की सामाजिक और धार्मिक एकता का प्रतीक है। इसमें न केवल कृषि उपकरणों और मवेशियों की पूजा होती है, बल्कि लोग अपने पूर्वजों और बोंगा (पवित्र आत्माओं) की भी श्रद्धापूर्वक वंदना करते हैं।
उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली और राजनीति की व्यस्तताओं के बीच अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़े रहना अत्यंत आवश्यक है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि प्रकृति और मवेशियों का हमारे जीवन में कितना अहम योगदान है। सांसद द्वारा खुद रंगगोली बनाना उनके इसी जुड़ाव का प्रमाण है।
इस अवसर पर स्थानीय लोगों ने भी सांसद के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि जनप्रतिनिधि का अपनी संस्कृति और समाज के साथ इस तरह जुड़ा रहना गर्व की बात है।
http://नारी में हर चीज को सजाने, संवारने की शक्ति : सांसद जोबा माझी