नई दिल्ली : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यंत विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला माना जाता है। प्रदोष व्रत प्रत्येक महीने की त्रयोदशी तिथि पर आता है और दिन के संध्या काल (प्रदोष काल) में शिव पूजन किया जाता है। वर्ष 2025 में कई प्रदोष व्रत आएंगे, जिनमें से भौम प्रदोष विशेष फलदायी माना गया है, क्योंकि यह मंगलवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी को कहा जाता है। मंगलवार का संबंध मंगल ग्रह (Mars) से है, जो ऊर्जा, साहस, भूमि, ऋण, विवाह, संबंध और स्वास्थ्य का कारक माना जाता है। इसलिए भौम प्रदोष व्रत करने से मंगल दोष, धन संकट, दांपत्य जीवन की समस्याएं और शत्रु बाधा दूर होती है।
प्रदोष व्रत क्या है?
“प्रदोष” शब्द का अर्थ होता है— संध्याकाल में किया गया विशिष्ट उपासना समय। यह समय सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे के भीतर का माना जाता है। इस अवधि में भगवान शिव की विशेष आराधना करने पर शीघ्र फल प्राप्त होता है।
यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। पुराणों के अनुसार, त्रयोदशी के दिन देवताओं ने शिवजी से वरदान मांग कर समुद्र-मंथन के दौरान उत्पन्न विष से रक्षा पाई। इसलिए यह दिन कल्याणकारी और पाप-नाशक माना गया है।
क्यों करें भौम प्रदोष व्रत
भौम प्रदोष व्रत करने से:
- मंगल दोष का प्रभाव कम होता है
- दांपत्य जीवन में मधुरता आती है
- भूमि, वाहन और संपत्ति की प्राप्ति के योग बनते हैं
- ऋण मुक्ति एवं आर्थिक संकट दूर होते हैं
- शत्रु बाधा और कोर्ट-कचहरी के मामलों में राहत
- स्वास्थ्य और मानसिक शांति में सुधार
- घर में सौहार्द वातावरण और सौभाग्य का आगमन
माना जाता है कि भौम प्रदोष का व्रत जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से करता है, उसे भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है और जीवन में निरंतर उन्नति होती है।
प्रदोष व्रत कैसे करें? (विधि)
पूर्व तैयारी
- सुबह स्नान कर शिव संकल्प करें
- पूरे दिन फलाहार या निर्जल उपवास
- घर साफ रखें और शाम को दीपक जलाएँ
पूजन विधि
- प्रदोष काल (सूर्यास्त के लगभग 45 मिनट बाद) में पूजा आरंभ करें
- पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें
- गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी से स्नान कराएँ
- बेलपत्र, धतूरा, आक, भस्म, चंदन और अक्षत अर्पित करें
- श्री शिव पंचाक्षर मंत्र–
“ॐ नमः शिवाय”
कम से कम 108 बार जप करें - दीप और धूप से आरती करें
भौम प्रदोष के दिन पढ़ें यह स्तोत्र
शिव प्रदोष स्तोत्र
देव्या या सह मोदते परमया शिवः।
स त्रैलोक्यनाथो हरः स भवतां,
सर्वार्थदः शिवः॥
इस स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक बोझ कम होता है और जीवन में सफलता के मार्ग खुलते हैं।
प्रदोष व्रत कब आता है?
प्रदोष व्रत हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आता है।
जब यह मंगलवार को पड़ता है तो भौम प्रदोष कहलाता है।
2025 के प्रदोष व्रत की तिथियां पंचांग अनुसार पूरे वर्ष में अलग-अलग रहेंगी।
प्रदोष व्रत का महत्व और लाभ
| लाभ | विवरण |
|---|---|
| शांति और सौभाग्य | परिवार में सुख-समृद्धि आती है |
| स्वास्थ्य | नकारात्मक ऊर्जा और रोग दूर होते हैं |
| वैवाहिक जीवन | संबंधों में प्रेम बढ़ता है |
| धन लाभ | आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है |
| मोक्ष | पापों का नाश और सद्गति प्राप्त होती है |
निष्कर्ष
भौम प्रदोष व्रत आध्यात्मिक और व्यावहारिक दोनों रूपों में अत्यंत फलदायी माना जाता है। श्रद्धा, संयम और भक्ति भाव से किया गया यह व्रत जीवन की हर चुनौती को आसान बना सकता है। प्रदोष काल में शिव आराधना और प्रदोष स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन, शांति, और समृद्धि आती है।


