Chaibasa (चाईबासा) : पश्चिमी सिंहभूम के रोवांम फुटबॉल मैदान में शनिवार को सारंडा जंगल को वाइल्ड लाइफ सेंचुरी घोषित किए जाने के मुद्दे पर एक बड़ी आमसभा आयोजित हुई। इस सभा में लगभग ढाई हजार ग्रामीण जुटे और तीन घंटे तक अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं। लोगों का कहना था कि यदि इस क्षेत्र को सेंचुरी बनाया गया तो उनकी परंपरागत संस्कृति, रीति-रिवाज और आजीविका पर सीधा संकट आ जाएगा।
सारंडा पहुंचा मंत्रियों का समूह, सेंचुरी प्रस्ताव पर 56 गांवों से संवाद
कार्यक्रम की शुरुआत सारंडा डीएफओ अभिरूप सिन्हा के संबोधन से हुई। इसके बाद कई ग्रामीण प्रतिनिधियों ने सेंचुरी निर्माण का जोरदार विरोध किया। उन्होंने तीर-धनुष लेकर नारे लगाए और कहा कि बिना ग्रामसभा की सहमति के कोई भी निर्णय मान्य नहीं होगा। वक्ताओं में रामेश्वर चांपिया, अमर सिंह सिद्धू, बुद्धराम सिद्धू और कृष्णा टोपनो समेत अन्य लोगों ने कहा कि खनन और उद्योगों ने पहले ही जंगलों और नदियों को नुकसान पहुंचाया है, जबकि ग्रामीणों को रोजगार नहीं मिला। ऐसे में सेंचुरी बनने से आदिवासी समाज का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।
सभा की अध्यक्षता राज्य मंत्री दीपक बिरुवा ने की। मंत्री दीपक बिरूवा ने कहा कि ग्रामीणों की विरासत, सांस्कृतिक धरोहर, जीवकोपार्जन की विधि और उनकी भावनाओं को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष रखा जाएगा।
इस अवसर पर सांसद जोबा माझी, विधायक सोनाराम सिंकू, विधायक जगत माझी, जिला परिषद सदस्य लक्ष्मी सोरेन, उपायुक्त चंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक अमित रेणु सहित कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद थे।
सभा के अंत में यह निष्कर्ष निकला कि सारंडा में फिलहाल विकास और अधिकारों की लड़ाई चल रही है। एक ओर वन्य जीव और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय आदिवासी समुदाय की आजीविका और पारंपरिक अधिकार भी उतने ही अहम हैं। अब इस विवाद का समाधान अदालत और सरकार के फैसले पर निर्भर करेगा।
http://सारंडा वन अभ्यारण्य: जल, जंगल और जमीन – किसके अधिकार में? – बिर सिंह बिरुली