Chaibasa :- पिछले दो वर्षों से हेमंत सोरेन सरकार एक षड्यंत्र के तहत झारखंड में नगरनिकाय चुनाव नहीं करा रही है. जबकि सभी का कार्यकाल वर्ष 2022 में ही पुरा हो चुका है. इस वजह से राज्य में एक तरह का संवैधानिक संकट पैदा हो गया है एवं यह 74वें संविधान संशोधन का सीधा उल्लघंन भी है. उक्त बातें चाईबासा नगर परिषद पूर्व अध्यक्ष पद प्रत्याशी अनुप कुमार सुल्तानिया ने कही.
उन्होंने कहा कि चाईबासा नगर परिषद अध्यक्ष का पद तो वर्ष 2019 से ही खाली पड़ा हुआ है. सरकार और उसमें शामिल दलों को डर है कि शहरी क्षेत्रो के चुनाव में कहीं वे भाजपा के हाथों बुरी तरह हार नहीं जाये. शायद यही कारण है कि पिछड़े वर्ग के आरक्षण के नाम पर हेमंत सोरेन की सरकार पिछले दो वर्षों से राज्य के 44 नगर निकायों के चुनावों को लगातार टाल रही है.
उन्होंने कहा कि नगर निकायों का चुनाव नहीं होने के कारण सभी नगर निकायों पर अधिकारियों का कब्जा हो गया है. जो कि किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए एक खतरनाक संकेत है. चुनाव नहीं होने के कारण अधिकार नगर इकाइयों में विकास के कार्य रुके पड़े हुए हैं. साफ सफाई बंद है और जनता को अपने छोटे-मोटे कार्यो को करवाने के लिए अधिकारी और बाबुओं के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
निर्वाचित जनप्रतिनिधि होने से जनता सीधे उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत करवा के तत्काल उसका समाधान भी करवा लेते थे. सबसे चिंता की बात यह है कि नगर निकाय चुनाव नहीं होने से केंद्र से प्रतिवर्ष मिलने वाले चार हजार करोड़ रुपए के अनुदान से भी राज्य को वंचित होना पड रहा है. हेमंत सोरेन सरकार में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जरा भी आस्था है तो झारखंड तो हाई कोर्ट के आदेशानुसार 3 सप्ताह के अंदर नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी कर फरवरी में चुनाव पुरा करवा दें.