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Home - #Local - नेपाल के बौद्ध मठों में ले जाए जा रहे झारखंड के 27 आदिवासी बच्चे; चाईबासा पुलिस ने मानव तस्करी का केस दर्ज किया
#Local

नेपाल के बौद्ध मठों में ले जाए जा रहे झारखंड के 27 आदिवासी बच्चे; चाईबासा पुलिस ने मानव तस्करी का केस दर्ज किया

By The News24 Live12/12/2025Updated:12/12/2025No Comments4 Mins Read
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Table of Contents

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  • रांची। झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों से गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा, आवास-भोजन और उज्ज्वल भविष्य का लालच देकर नेपाल के बौद्ध मठों में भेजे जाने का गंभीर मामला सामने आया है। बच्चों की सुरक्षित वापसी के बाद चाईबासा पुलिस ने मानव तस्करी का मामला दर्ज कर जांच तेज कर दी है।
  • पुलिस फिलहाल 27 बच्चों से जुड़ी पूरी घटनाक्रम की जांच कर रही है। इनमें से 11 बच्चों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनके बच्चों को छलपूर्वक नेपाल ले जाया गया। जबकि अन्य 16 बच्चों के अभिभावकों ने लिखित रूप से यह कह कर सहमति दी है कि उनके बच्चे मठ में पढ़ाई कर रहे हैं।
  • स्थानीय लोगों का कहना है कि गरीबी और अशिक्षा का फायदा उठाकर बच्चों को इस तरह बहला-फुसलाकर ले जाना आदिवासी इलाकों में चल रहे मानव तस्करी के व्यवस्थित नेटवर्क की ओर संकेत करता है।
  • मामला कैसे सामने आया?
  • 11 नवंबर 2025 को पश्चिमी सिंहभूम के विभिन्न इलाकों से कुल 27 बच्चे (उम्र 10–16 वर्ष) नेपाल भेजे गए थे। इनमें—
  • चाईबासा मुफस्सिल क्षेत्र से – 11 बच्चे
  • चक्रधरपुर से – 10 बच्चे
  • कुमारडुंगी से – 4 बच्चे
  • झींकपानी से – 2 बच्चे
  • इन सभी को नेपाल के नमोबुद्ध मेडिटेशन सेंटर, सेडोल भक्तपुर (द्रांड्र रिन्पोचे ब्रांच) में ले जाया गया।उन्हें वादा किया गया कि वहां मुफ्त शिक्षा, रहने-खाने की सुविधा और बेहतर भविष्य मिलेगा।
  • नेपाल से लौटे बच्चों ने बताए चौंकाने वाले तथ्य
  • अब तक 11 बच्चे विभिन्न तरीकों से वापस लौटे हैं—कुछ भागकर, कुछ नेपाल पुलिस की मदद से। लौटे बच्चों ने जो अनुभव साझा किए, वह चौंकाने वाले हैं:
  • वहां कोई नियमित विद्यालय नहीं था।
  • बच्चों को किताबें नहीं दी जाती थीं।
  • केवल ब्लैकबोर्ड पर नेपाली, हिंदी और अंग्रेजी लिखकर पढ़ाने का दिखावा किया जाता था।
  • दिन में दो बार ध्यान, सिर मुंडवाना और मठ की ड्रेस अनिवार्य।
  • मठ परिसर से बाहर जाने की पूरी मनाही।
  • नियम तोड़ने पर हल्का शारीरिक दंड भी।
  • भाषा न समझने के कारण बच्चे बेहद डर और तनाव में रहते थे।
  • दो बच्चे तो केवल 600 रुपये में बस-ट्रेन बदलकर भारत लौट आए, जबकि चार को नेपाल पुलिस ने 21 दिन सुरक्षा में रखकर भारतीय अधिकारियों को सौंपा।
  • पुलिस की कार्रवाई
  • चाईबासा के आहतू और मुफस्सिल थाना में मानव तस्करी का केस दर्ज किया गया है।कुछ स्थानीय लोगों—जिनमें रांगामाटी गांव के राम जोंको, खूंटपानी के नारायण कांडेयांग, बासिल हेम्ब्रम सहित अन्य शामिल हैं—को आरोपी बनाया गया है।
  • पुलिस का कहना है कि—
  • बच्चों की सुरक्षित वापसी प्राथमिकता है,
  • नेटवर्क का भंडाफोड़ किया जा रहा है,
  • और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
  • क्या धर्म परिवर्तन की साजिश? जांच में यह एंगल भी शामिल
  • बच्चों को—
  • बौद्ध मठ में ले जाना,
  • बाल मुंडवाना,
  • ध्यान कराना,
  • धार्मिक दिनचर्या अपनवाना,
  • और स्कूल-किताब के नाम पर केवल धार्मिक प्रशिक्षण देना,
  • इन सभी तथ्यों को देखते हुए सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या यह शिक्षा का प्रलोभन है या फिर धर्म परिवर्तन की संगठित कोशिश?
  • चूंकि नेपाल विदेश है, इसलिए—
  • बिना उचित दस्तावेज,
  • बिना अभिभावक की स्वीकृति,
  • बच्चों को विदेश भेजना अपने आप में गैरकानूनी है।
  • पुलिस इस पहलू की भी जांच कर रही है कि कहीं यह नेटवर्क नेपाल से आगे किसी अन्य देश से तो नहीं जुड़ा।
  • अभी तक की स्थिति
  • 11 बच्चे सुरक्षित वापस लौट चुके हैं।
  • बाकी बच्चों को जल्द भारत लाने के लिए प्रयास जारी हैं।
  • जिला प्रशासन, चाइल्ड वेलफेयर कमिटी और संबंधित एजेंसियां सक्रिय हैं।
  • निष्कर्ष: अत्यंत गंभीर मामला, कठोर कार्रवाई की आवश्यकता
  • आदिवासी इलाकों में गरीबी, अनभिज्ञता और संसाधनों की कमी का फायदा उठाकर बच्चों को फर्जी वादों के जरिए ले जाना अत्यंत चिंताजनक है। यदि इस पूरे नेटवर्क में मानव तस्करी या धर्म परिवर्तन की संगठित साजिश शामिल है, तो यह झारखंड के आदिवासी समाज के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
  • स्थानीय लोग, सामाजिक संगठन और परिवार उम्मीद कर रहे हैं कि—
  • सभी बच्चे सुरक्षित घर लौटें,
  • और दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई हो।
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रांची। झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों से गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा, आवास-भोजन और उज्ज्वल भविष्य का लालच देकर नेपाल के बौद्ध मठों में भेजे जाने का गंभीर मामला सामने आया है। बच्चों की सुरक्षित वापसी के बाद चाईबासा पुलिस ने मानव तस्करी का मामला दर्ज कर जांच तेज कर दी है।

चाईबासा सदर अस्पताल में हड़कंप: थैलेसीमिया बच्चे को एचआईवी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाने का मामला, रांची से पहुंची टीम, किया जांच

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पुलिस फिलहाल 27 बच्चों से जुड़ी पूरी घटनाक्रम की जांच कर रही है। इनमें से 11 बच्चों के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उनके बच्चों को छलपूर्वक नेपाल ले जाया गया। जबकि अन्य 16 बच्चों के अभिभावकों ने लिखित रूप से यह कह कर सहमति दी है कि उनके बच्चे मठ में पढ़ाई कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि गरीबी और अशिक्षा का फायदा उठाकर बच्चों को इस तरह बहला-फुसलाकर ले जाना आदिवासी इलाकों में चल रहे मानव तस्करी के व्यवस्थित नेटवर्क की ओर संकेत करता है।

मामला कैसे सामने आया?

11 नवंबर 2025 को पश्चिमी सिंहभूम के विभिन्न इलाकों से कुल 27 बच्चे (उम्र 10–16 वर्ष) नेपाल भेजे गए थे। इनमें—

  • चाईबासा मुफस्सिल क्षेत्र से – 11 बच्चे

  • चक्रधरपुर से – 10 बच्चे

  • कुमारडुंगी से – 4 बच्चे

  • झींकपानी से – 2 बच्चे

इन सभी को नेपाल के नमोबुद्ध मेडिटेशन सेंटर, सेडोल भक्तपुर (द्रांड्र रिन्पोचे ब्रांच) में ले जाया गया।
उन्हें वादा किया गया कि वहां मुफ्त शिक्षा, रहने-खाने की सुविधा और बेहतर भविष्य मिलेगा।

नेपाल से लौटे बच्चों ने बताए चौंकाने वाले तथ्य

अब तक 11 बच्चे विभिन्न तरीकों से वापस लौटे हैं—कुछ भागकर, कुछ नेपाल पुलिस की मदद से। लौटे बच्चों ने जो अनुभव साझा किए, वह चौंकाने वाले हैं:

  • वहां कोई नियमित विद्यालय नहीं था।

  • बच्चों को किताबें नहीं दी जाती थीं।

  • केवल ब्लैकबोर्ड पर नेपाली, हिंदी और अंग्रेजी लिखकर पढ़ाने का दिखावा किया जाता था।

  • दिन में दो बार ध्यान, सिर मुंडवाना और मठ की ड्रेस अनिवार्य।

  • मठ परिसर से बाहर जाने की पूरी मनाही।

  • नियम तोड़ने पर हल्का शारीरिक दंड भी।

  • भाषा न समझने के कारण बच्चे बेहद डर और तनाव में रहते थे।

दो बच्चे तो केवल 600 रुपये में बस-ट्रेन बदलकर भारत लौट आए, जबकि चार को नेपाल पुलिस ने 21 दिन सुरक्षा में रखकर भारतीय अधिकारियों को सौंपा।

पुलिस की कार्रवाई

चाईबासा के आहतू और मुफस्सिल थाना में मानव तस्करी का केस दर्ज किया गया है।
कुछ स्थानीय लोगों—जिनमें रांगामाटी गांव के राम जोंको, खूंटपानी के नारायण कांडेयांग, बासिल हेम्ब्रम सहित अन्य शामिल हैं—को आरोपी बनाया गया है।

पुलिस का कहना है कि—

  • बच्चों की सुरक्षित वापसी प्राथमिकता है,

  • नेटवर्क का भंडाफोड़ किया जा रहा है,

  • और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

क्या धर्म परिवर्तन की साजिश? जांच में यह एंगल भी शामिल

बच्चों को—

  • बौद्ध मठ में ले जाना,

  • बाल मुंडवाना,

  • ध्यान कराना,

  • धार्मिक दिनचर्या अपनवाना,

  • और स्कूल-किताब के नाम पर केवल धार्मिक प्रशिक्षण देना,

इन सभी तथ्यों को देखते हुए सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या यह शिक्षा का प्रलोभन है या फिर धर्म परिवर्तन की संगठित कोशिश?

चूंकि नेपाल विदेश है, इसलिए—

  • बिना उचित दस्तावेज,

  • बिना अभिभावक की स्वीकृति,

  • बच्चों को विदेश भेजना अपने आप में गैरकानूनी है।

पुलिस इस पहलू की भी जांच कर रही है कि कहीं यह नेटवर्क नेपाल से आगे किसी अन्य देश से तो नहीं जुड़ा।

अभी तक की स्थिति

  • 11 बच्चे सुरक्षित वापस लौट चुके हैं।

  • बाकी बच्चों को जल्द भारत लाने के लिए प्रयास जारी हैं।

  • जिला प्रशासन, चाइल्ड वेलफेयर कमिटी और संबंधित एजेंसियां सक्रिय हैं।

निष्कर्ष: अत्यंत गंभीर मामला, कठोर कार्रवाई की आवश्यकता

आदिवासी इलाकों में गरीबी, अनभिज्ञता और संसाधनों की कमी का फायदा उठाकर बच्चों को फर्जी वादों के जरिए ले जाना अत्यंत चिंताजनक है। यदि इस पूरे नेटवर्क में मानव तस्करी या धर्म परिवर्तन की संगठित साजिश शामिल है, तो यह झारखंड के आदिवासी समाज के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

स्थानीय लोग, सामाजिक संगठन और परिवार उम्मीद कर रहे हैं कि—

  • सभी बच्चे सुरक्षित घर लौटें,

  • और दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई हो।

  • http://रांची: रिश्वत लेते पकड़ा गया डीएसपी का रीडर, ACB की बड़ी कार्रवाई

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