सरायकेला: कांग्रेस से सिंहभूम की संसाद गीता कोड़ा के भाजपा में शामिल होने और पार्टी द्वारा लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ता समेत सांसद गीता कोड़ जबरदस्त तरीके से रेस हैं, जगह-जगह भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा गीता कोड़ा का सम्मान समारोह आयोजित कर चुनावी किला फ़तह की तैयारी की जा रही है ,इस बीच बुधवार 6 मार्च को सांसद गीता गीता कोड़ा को मातृ शोक होने के बावजूद वे स्वागत समारोह और होली मिलन समारोह में शिरकत करती दिखी है, जिसे आदिवासी हो समाज ने निंदनीय करार दिया है।
चाईबासा : सांसद गीता कोड़ा की माता का हुआ निधन, क्षेत्र में शोक की लहर
दरअसल शनिवार 9 मार्च को सांसद गीता कोड़ा का सरायकेला जिले में स्वागत व भ्रमण कार्यक्रम सुनिश्चित था, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत गीता कोड़ा पहले सरायकेला, गम्हरिया, आदित्यपुर व आरआईटी भाजपा मंडल में पहुंची, जहां संसाद के पहुंचने पर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा ढोल नगाड़े और आतिशबाजी कर सांसद महोदय का स्वागत किया गया ,इससे ठीक तीन दिन पूर्व इनकी माता कल्पना बिरुली का लंबे समय से बीमार रहने के चलते बुधवार तड़के सुबह 4 बजे रांची के रिम्स अस्पताल में निधन हो गया था, बुधवार को ही चाईबासा जिला के झींकपानी प्रखंड अंतर्गत माटागुट्टू में अंतिम संस्कार किया गया, इधर अंतिम संस्कार के तीन दिन बाद ही सांसद महोदय शनिवार देर शाम आदित्यपुर एस टाइप दुर्गा पूजा मैदान में आयोजित हुए होली मिलन समारोह में शामिल होने पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के साथ पहुंची, जहां रंगारंग नृत्य संगीत कार्यक्रम के बीच सांसद महोदय का स्वागत किया गया ,सांसद महोदय ने यहां मंच से जन समूह को भी संबोधित किया, पूरा मंजर देख साफ प्रतीत हो रहा है कि भाजपा और स्वयं सांसद महोदया चुनाव के पक्ष में एक भी पल गवाना नहीं चाहती, लेकिन राजनीतिक गलियारों से लेकर आदिवासी हो समाज में इसकी तीखी आलोचना हो रही है।
भाजपा को हिंदुत्व से नहीं सत्ता से है मतलब: अंबुज
मातृ शोक के तीसरे दिन सांसद महोदय का अभिनंदन और होली मिलन समारोह में शिरकत करने के मुद्दे पर सरायकेला -खरसावां जिला कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबुज कुमार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भाजपा केवल हिंदुत्व की बात करती है लेकिन हिंदू धर्म से इन्हें लेना-देना नहीं है ,सत्ता के आगे इन्हें न परिवार दिखता है ना धर्म समाज, भाजपा की यह संस्कृति है .
हो समाज के नियमों पर है कुठाराघात: सिंकु
पश्चिम सिंहभूम जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में झारखंड पुनरुत्थान अभियान के मुख्य संयोजक सन्नी सिंकु ने इस मुद्दे पर कहा है कि आदिवासी हो समाज इस बात की इजाजत नहीं देता की कोई व्यक्ति मातृ शोक में हो और वह स्वागत और होली मिलन जैसे सामारोह में शामिल हो, ऐसा करना सत्ता के लोभ को साफ दर्शाता है ,इन्होंने कहा कि हिंदू समाज के तर्ज पर आदिवासी समाज में भी 14 दिनों तक शोक मनाया जाता है,लेकिन समय के अभाव एवं विविधताओं के चलते लोग आजकल दो या तीन दिनों में ही क्रिया कर्म पूरा करते हैं, बावजूद इसके इस प्रकार के आयोजनों में शामिल होना हो समाज के नियमों पर भी कुठाराघात है।
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