Ranchi (रांची) : नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) ने एक बार फिर अपनी गतिविधियों को तेज करते हुए 8 से 14 अक्टूबर तक प्रतिरोध सप्ताह और 15 अक्टूबर को बिहार, झारखंड, उत्तर छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम में बंद का एलान किया है। माओवादियों के पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो के प्रवक्ता संकेत ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी घोषणा की।
प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि हाल ही में उनके कई शीर्ष नेताओं को पुलिस और कोबरा बल ने कथित फर्जी मुठभेड़ों में मार गिराया है। इनमें सहदेव सोरेन उर्फ अनुज, रघुनाथ हेंब्रम उर्फ चंचल और रामखेलावन गंझू उर्फ वीरसेन जैसे नाम शामिल हैं। संगठन का कहना है कि इन घटनाओं के विरोध में ही यह प्रतिरोध सप्ताह और बंद बुलाया गया है।
पुलिस ने सभी जिलों में अलर्ट जारी किया
माओवादियों की इस घोषणा के बाद झारखंड पुलिस मुख्यालय ने राज्य के सभी जिलों को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया है। विशेषकर पश्चिमी सिंहभूम, लातेहार, गढ़वा, चतरा और खूंटी जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।
पुलिस के एसआईबी (स्पेशल इंटेलिजेंस ब्रांच) ने सभी एसपी और एसएसपी को पत्र भेजकर अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा है। आदेश में कहा गया है कि सुरक्षा कैंपों, हाईवे मार्गों, जंगल इलाकों, और पुलिस मूवमेंट के दौरान आईईडी जांच अनिवार्य की जाए।
साथ ही सभी सुरक्षाबलों (सीआरपीएफ, जैप, एसएसबी, आईआरबी) को संभावित हमलों से सतर्क रहने और इलाके में गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। नक्सली अक्सर प्रतिरोध सप्ताह के दौरान बैनर-पोस्टर लगाकर, ग्रामीण इलाकों में धमकियां देकर या पुलिस को निशाना बनाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
सरकारी प्रतिष्ठानों और रेलवे पर नजर
मुख्यालय ने स्पष्ट किया है कि सरकारी और गैर-सरकारी दफ्तरों, ब्लॉक और अंचल कार्यालयों, बैंक, वन विभाग के गोदामों, और मोबाइल टावरों की विशेष निगरानी की जाए।
इसके अलावा सभी रेलवे रूट, स्टेशन और राजमार्गों पर भी अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जा रहे हैं ताकि किसी प्रकार की तोड़फोड़ या विस्फोट की घटना को रोका जा सके।
नक्सलियों के पत्र में सरकार और पुलिस पर आरोप
माओवादी संगठन ने अपने पत्र में केंद्र और राज्य सरकारों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि नक्सल उन्मूलन के नाम पर निर्दोष आदिवासियों और मूलवासियों की हत्याएं की जा रही हैं।
उन्होंने गृहमंत्री और पुलिस बलों पर “आदिवासियों के नरसंहार” को प्रोत्साहित करने का आरोप लगाया है। पत्र में पश्चिमी सिंहभूम, बोकारो और हजारीबाग में हुई कथित मुठभेड़ों का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि मारे गए ज्यादातर लोग आदिवासी या दलित समुदाय से थे।
सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क
आगामी सप्ताह नक्सलियों की सक्रियता को देखते हुए राज्य में सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं। सभी जिलों में फोर्स की तैनाती बढ़ाई गई है, गश्ती दल सक्रिय किए गए हैं, और आईईडी सर्च अभियान भी तेज कर दिए गए हैं। प्रशासन की कोशिश है कि किसी भी स्थिति में नक्सली किसी बड़ी घटना को अंजाम न दे सकें।
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