गम्हरिया: टायो गेट स्थित सरना उमूल में रविवार को माझी परगना महाल की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आगामी 13 अक्टूबर को गम्हरिया प्रखंड मुख्यालय में एकदिवसीय विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
यह प्रदर्शन कुड़मी समाज को आदिवासी सूची में शामिल किए जाने की मांग के खिलाफ होगा।बैठक में मौजूद माझी परगना महाल के सदस्यों ने साफ कहा कि वे किसी भी स्थिति में कुड़मी जाति को आदिवासी दर्जा नहीं दिए जाने की मांग पर अडिग हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर जिला स्तर तक आंदोलन तेज करने की रणनीति बनाई। वक्ताओं ने कहा कि यह सिर्फ एक समुदाय का मामला नहीं है, बल्कि पूरे पारंपरिक आदिवासी समाज की पहचान और अधिकारों से जुड़ा मुद्दा है।
वक्ता जोगिंदर मार्डी ने कहा कि कुड़मी समाज झारखंड, बंगाल और ओडिशा में लंबे समय से आदिवासी दर्जे की मांग को लेकर आंदोलनरत है और रेल चक्का जाम जैसे कार्यक्रम भी कर चुका है। इसके जवाब में माझी बाबाओं की ओर से स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि कुड़मी समाज के आंदोलन के समानांतर माझी परगना महाल भी पुरजोर विरोध आंदोलन चलाएगा। वहीं, वक्ता संग्राम मार्डी ने ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र करते हुए कहा कि कुर्मी समाज का दावा है कि 1865 से 1925 तक इंडियन सक्सेशन के तहत उन्हें एसटी का दर्जा प्राप्त था। हालांकि, झारखंड राज्य में इस दावे से संबंधित कोई भी वैध दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। इसलिए उनका दावा निराधार है।उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज राज्यपाल और एसटी आयोग से भी मांग करेगा कि कुड़मी जाति को किसी भी परिस्थिति में आदिवासी सूची में शामिल न किया जाए। बैठक में गम्हरिया प्रखंड के अलावा दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए और आंदोलन को सफल बनाने की रणनीति तय की गई। बैठक में देव मार्डी, जयराम मुर्मू, दुबराज, भगवत बास्के, सोखेंन हेंब्रम, राम हांसदा, गौरीशंकर टुडू, शंकर मार्डी आदि मौजूद रहे।



