Jaintgarh (जैंतगढ़) : आंदोलन जीवी पारा शिक्षकों और सरकारों के बीच लुका छिपी का खेल विगत 24 वर्षो से जारी है. सरकार की हालत साफ है वे छिपते भी नही और सामने आते भी नही वाली है स्थिति में है. विभिन्न सरकारें हर आंदोलन के बाद कुछ ले देकर पारा ज्वाला को शांत कराती आई है. ये पहला मौका है जब शिक्षा विभाग ने दो टूक शब्दों में पारा शिक्षकों को स्थाई करने से मना किया गया है. वह भी सरकार के कद्दावर विधायक समीर मोहंती द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में विभाग ने साफ शब्दों में पारा शिक्षकों के स्थाई नहीं करने का जवाब दिया है. इससे अब पारा शिक्षकों में उबाल आ गया है. पारा ज्वाला अब ज्योति बनने को आतुर दिख रही है. उक्त बातें एकीकृत पारा संघर्ष मोर्चा के केंद्रीय सदस्य दीपक कुमार बेहरा ने कही.
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उन्होंने कहा कि अधिकारी शुरू से पारा शिक्षक विरोधी रहे है. अब तक इन्ही अधिकारियों ने पेंच फसा रखा है. अधिकारी हर संचिका को गोल गोल घुमा देते हैं. सरकारों के लिए भी पारा एक चुनावी मुद्दा मात्र बनकर रह गया है. बारी बारी से सभी सरकारों ने पारा भावना के साथ खिलवाड़ किया है. ये सरकारें पारा शिक्षकों को फुटबॉल बना दिए है, अब बहुत ही गया. इस बार सरकार नही चेती तो रघुवर सरकार से बुरी हालत कर देंगे. सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे. पारा परिवार सरकार बनवाना जानती है तो सरकार को धूल चटाना भी जानती है.
शंकर गुप्ता ने कहा वही घिसा पिटा जवाब न्यायालय के फैसले का हवाला तो आरक्षण रोस्टर का मुद्दा है. जबकि दोनो मुद्दे में कोई दम नहीं रखता. आरक्षण रोस्टर का अनुपालन हुआ है. फिर भी सरकार को शक है तो पोस्ट क्रिएट कर आरक्षण रोस्टर के अनुसार जिला स्तर पर पारा शिक्षकों को पदस्थापित करे. रही बात न्यायालय की तो सरकार सुप्रीम कोर्ट का फैसला समान काम समान वेतनमान को क्यों लागू नहीं करती है. महाधिवक्ता ने साफ शब्दों में पारा को स्थाई करने पर सकारात्मक उत्तर देते हुए पारा हित में वकालत की है. सरकार विनाश काले विपरित बुद्धि की कहावत को चरितार्थ कर रही है. अब पारा का लावा उबाल मार रहा है. पारा ज्वाला अब ज्योति बनने जा रही है. आंदोलन का शोले उठने वाला है. सरकार की ईंट से ईंट बजा दी जाएगी.