- बेटे हेमंत सोरेन ने किया भावुक पोस्ट .. आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए, आज मै शून्य हो गया हूं…
Chaibasa (चाईबासा) : राज्यसभा सांसद और झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन गुरुजी का सोमवार को निधन हो गया. दिल्ली में सर गंगाराम अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली.
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शिबू सोरेन “बीते कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे. न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी. उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई थी. उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था. इससे उनके शरीर के बाईं ओर पैरालिसिस हो गया था.

81 साल के गुरुजी लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं. एक साल से डायलिसिस पर हैं. वे डायबिटीज से पीड़ित हैं और हार्ट की बायपास सर्जरी भी हो चुकी है. शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक संरक्षक थे. वह यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान कोयला मंत्री रह चुके थे. हालांकि चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने के बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया था.
81 साल के दिशोम गुरु शिबू सोरेन का जन्म वर्तमान रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड के नेमरा में 11 जनवरी 1944 को हुआ. गांव के ही स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा लिए दिशोम गुरु का जीवन संघर्षों भरा रहा है. महज 13 साल की उम्र के थे, जब उनके पिता की हत्या महाजनों ने कर दी. इसके बाद शिबू सोरेन ने पढ़ाई छोड़ दी और महाजनों के खिलाफ संघर्ष का फैसला किया. पिता की हत्या के बाद वह इस बात को समझ गए थे कि पढ़ाई से ज्यादा जरूरी है महाजनों के खिलाफ आदिवासी समाज को इकट्ठा करना. उन्होंने सूदखोर महाजनों के खिलाफ काम करना शुरू किया. 1970 में वे महाजनों के खिलाफ खुल कर सामने आए और धान कटनी आंदोलन की शुरुआत की. सूदखोरों के खिलाफ आंदोलन चलाकर शिबू सोरेन चर्चित तो हुए, लेकिन महाजनों को अपना दुश्मन बना लिया.
शिबू को ‘दिशोम गुरु’ कहना शुरू
शिबू को रास्ते से हटाने के लिए महाजनों ने भाड़े के लोग जुटाए. उन दिनों आदिवासियों को जागरूक करने के लिए शिबू सोरेन बाइक से गांव-गांव जाते थे. इसी दौरान एक बार उन्हें महाजनों के गुंडों ने घेर लिया. बारिश का सीजन था. बराकर नदी उफान पर थी. शिबू सोरेन समझ गए कि अब बचना मुश्किल है. उन्होंने आव देखा न ताव, अपनी रफ्तार बढ़ाई और बाइक समेत नदी में छलांग लगा दी. सभी को लगा उनका मरना तय है, लेकिन थोड़ी देर बाद शिबू तैरते हुए नदी के दूसरे छोर पहुंच गए. लोगों ने इसे दैवीय चमत्कार माना. आदिवासियों ने शिबू को ‘दिशोम गुरु’ कहना शुरू कर दिया.
संथाली में दिशोम गुरु का अर्थ होता है देश का गुरु
शिबू सोरेन 2 मार्च 2005 को पहली बार CM बने, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण दस दिन में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. 27 अगस्त 2008 को शिबू सोरेन दूसरी बार झारखंड के CM बने. इस बार वे विधायक नहीं थे. इस कारण छह महीने में उन्हें चुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना था. पांच महीने बाद 2009 में उपचुनाव हुआ. शिबू को एक सुरक्षित सीट की जरूरत थी, लेकिन कोई भी उनके लिए सीट छोड़ने को तैयार नहीं था. जो विधायक सीट छोड़ने को तैयार थे, वो मुश्किल सीट थी. तमाड़ विधानसभा में उपचुनाव का ऐलान हुआ. UPA ने गठबंधन की ओर से शिबू का नाम रखा, लेकिन शिबू वहां से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे.
शिबू जानते थे कि तमाड़ मुंडा बहुल है. वहां शिबू काे मुश्किल हो सकती है. मजबूरी में शिबू सोरेन ने पर्चा दाखिल कर दिया. विरोधी के रूप में झारखंड पार्टी के राजा पीटर मैदान में थे. 8 जनवरी 2009 को परिणाम आया तो CM शिबू सोरेन करीब 9 हजार वोट से उपचुनाव हार गए थे. आखिर में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
शिबू सोरेन की जिंदगी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण तारीखें
11 जनवरी 1944: जन्म, नेमरा गांव, रामगढ़ (तत्कालीन हजारीबाग), झारखंड (तत्कालीन बिहार).
1972: पिता शोभराम सोरेन की हत्या, जिसके बाद शिबू ने सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता बढ़ाई.
23 जनवरी 1975: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना.
15 नवंबर 2000: झारखंड राज्य का गठन, जिसमें सोरेन के आंदोलन की अहम भूमिका.
27 मई 2004 – 2 मार्च 2005: पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने.
30 अगस्त 2008 – 12 जनवरी 2009: दूसरी बार मुख्यमंत्री.
30 दिसंबर 2009 – 31 मई 2010: तीसरी बार मुख्यमंत्री.
1980, 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009: दुमका से सांसद चुने गए.
2020: राज्यसभा सांसद बने.
04 अगस्त 2025 : दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु.