Jamshedpur (जमशेदपुर) : सी.एस.आई.आर.–राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल), जमशेदपुर में “जनजातीय गौरव वर्ष” के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस अवसर पर सी.एस.आई.आर.–एनएमएल के निदेशक डॉ. संदीप घोष चौधुरी, सी.एस.आई.आर.– सीएमईआरआई, दुर्गापुर के निदेशक डॉ. नरेश चन्द्र मुर्मू, प्रमुख वैज्ञानिक एवं अनुसूचित जाति व जनजाति प्रतिनिधि डॉ. मनोज एम. हुमने, तथा प्रशासनिक नियंत्रक आदित्य मैनाक उपस्थित थे.

कार्यक्रम में क्षेत्रीय विद्यालयों के छात्र-छात्राओं एवं उनके शिक्षकगण के साथ-साथ सी.एस.आई.आर.–एनएमएल में कार्यरत सभी सदस्य उपस्थित थे. जनजातीय गौरव वर्ष की घोषणा हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर, 15 नवंबर 2024 को, उन्हें सम्मान देने के लिए की थी. इस वर्ष का उद्देश्य जनजातीय आंदोलनों में जननायकों के योगदान को रेखांकित करना है.
उन्होंने पूरे वर्ष को भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर “जनजातीय गौरव वर्ष” के रूप में मनाने का अनुरोध किया। इस पहल के तहत देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में जनजातीय योगदान से संबंधित उपलब्धियों को उजागर किया जाएगा, और यह कार्यक्रम 15 नवंबर 2025 तक जारी रहेगा. इस दौरान छोटे-छोटे कार्यक्रमों के माध्यम से जनजातीय मामलों के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने का प्रयास किया जाएगा.

इस अवसर के मुख्य अतिथि झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री श्री रामदास सोरेन रहे. उन्होंने इस जनजातीय गौरव वर्ष उत्सव की शुरुआत बच्चों के साथ संवाद से की। उन्होंने बच्चों को झारखंड की स्थापना, नामकरण, और इसके इतिहास से अवगत कराया. उन्होंने तिलका मांझी, सिदो-कान्हू और फुलो-झानो जैसी ऐतिहासिक शख्सियतों के योगदान पर विस्तार से बात की. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर झारखंड बनने तक के संघर्ष को उजागर किया और बताया कि जल, जंगल और जमीन की रक्षा हेतु जनजातियों द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों के माध्यम से झारखंड की स्थापना हुई.

मंत्री महोदय ने स्वयं को गढ़वाली महसूस करते हुए बच्चों को प्रेरित किया और उन्हें बताया कि वे जो भी प्रयोगशालाओं में देख रहे हैं, उन्हें समझें और सोचें, कि वह अपने भविष्य में क्या बनना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल किताबी नहीं होनी चाहिए, बल्कि जीवन और करियर से भी जुड़ी होनी चाहिए. उन्होंने इसका उदाहरण ट्रेन की यात्रा से दिया. अगर आप सफर कर रहे हैं तो मंज़िल का पता होना चाहिए, और उस मंज़िल तक पहुंचने के लिए लगातार प्रयास करने चाहिए. इन प्रयासों में सी.एस.आई.आर.–एनएमएल जैसी संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

उन्होंने महिला शिक्षा पर विशेष बल देते हुए बताया कि कैसे पहले बालिकाओं की शिक्षा बीच में छूट जाती थी, लेकिन अब ‘मेधा सम्मान योजना’ जैसी सरकारी योजनाओं के माध्यम से वे अपनी पढ़ाई जारी रख पा रही हैं. उन्होंने कहा कि देश में वैज्ञानिकों की कमी है, और इस दिशा में बच्चों को आगे बढ़ना होगा क्योंकि वही झारखंड का भविष्य हैं. आगे चलकर यही बच्चे राज्य के प्रशासन, पुलिस, डॉक्टरी, इंजीनियरिंग और अन्य प्रोफेशनल क्षेत्रों में झारखंड के स्वर्णिम विकास में अहम भूमिका निभाएंगे.
मंत्री जी ने राज्य सरकार की ओर से शिक्षा संबंधी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला और बताया कि नेतरहाट विद्यालय की तर्ज पर झारखंड में तीन और विद्यालय खोले जाएंगे. इन स्कूलों में सीबीएसई करिकुलम अपनाया जाएगा ताकि बच्चे राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सक्षम हो सकें. सरकार की प्राथमिकता है कि इन स्कूलों की सुविधाएं निजी स्कूलों से भी बेहतर हों—चाहे वह पुस्तकें हों, प्रयोगशालाएं, पोषण या अन्य शैक्षणिक सामग्री.
अंत में, उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि वे झारखंड के विकास में अपनी भूमिका निभाएं. उन्होंने कहा कि झारखंड में रहने वालों को ही राज्य के प्रशासनिक पदों पर रहकर योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर लागू करना चाहिए, ताकि यहां के लोगों को उचित लाभ मिल सके. उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि जैसे पूर्वजों ने स्वतंत्रता संग्राम और झारखंड आंदोलन में भाग लिया, वैसे ही अब इस पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि वह झारखंड को अन्य विकसित राज्यों की कतार में लाकर खड़ा करें.
हमारे विशिष्ट अतिथि, निदेशक, सी.एस.आई.आर.–सीएमईआरआई, दुर्गापुर, डॉ. नरेश चंद्र मुर्मू को क्षेत्र नायक के तौर पर जाना जाता है और विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्र में उनका अत्यंत सम्मानजनक योगदान है. उन्होंने भी छात्रों को आत्मविश्वास के साथ अपने सपनों की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी.
सी.एस.आई.आर.–एनएमएल के निदेशक, डॉ. संदीप घोष चौधुरी ने कार्यक्रम की शुरुआत में सभी अतिथियों का स्वागत किया और पूर्वी तथा पश्चिमी सिंहभूम क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति से संबंधित 10 विद्यालयों के 300 विद्यार्थियों का अभिवादन किया. उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को रेखांकित करते हुए बच्चों को प्रोत्साहित किया कि वे उनके आदर्शों से प्रेरणा लें.
कार्यक्रम का समापन सी.एस.आई.आर.–एनएमएल के प्रशासनिक नियंत्रक आदित्य मैनाक द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.
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