Jamshedpur: रक्त का कोई विकल्प नहीं हो सकता, मानव जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कड़ी में शामिल रक्त को केवल दान कर एक दूसरे के जिंदगी को बचाया जा सकता है. इसी मुहिम को लगातार कई सालों से आगे बढ़ाने वाले रक्तदान के शतकवीर अरुण पाठक अपने पूरे परिवार के साथ रक्तदान कर आज समाज में एक प्रेरक की भूमिका अदा कर रहे हैं.
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आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी 56 वर्षीय अरुण पाठक ने अब तक 137 बार रक्तदान देकर एक बार फिर नया कीर्तिमान स्थापित किया है. रविवार 24 सितंबर को अपने 56 वे जन्मदिन पर इन्होंने 137 बार रक्तदान कर रक्तदान -महादान के इस मुहिम को आगे बढ़ाया है. इस मुहिम में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनकी बेटी और बेटा भी चल रहे हैं.अरुण पाठक के जन्मदिन के उपलक्ष पर इन्होंने जमशेदपुर ब्लड बैंक में 137 बार रक्तदान किया. इस मौके पर उनकी बड़ी बेटी डॉ रागिनी पाठक ने अबतक 8 बार और छोटे बेटे अनुराग पाठक ने 18 बार रक्तदान कर पिता का हौसला बढ़ाया हैं.
देश में सर्वाधिक रक्तदान करने वालों में हो सकते हैं शामिल
महज शौकिया तौर पर अरुण पाठक ने जब कॉलेज के दिनों मे रक्तदान किया था, तब उन्हें भी नहीं पता था कि इस मुहिम को ये इतना आगे बढ़ाएंगे कि उनकी गिनती आगे चलकर देश में अब तक सर्वाधिक रक्तदान करने वाले शख्स के रूप में हो सकती है. हालांकि अब तक इन्हें आधिकारिक तौर पर यह खिताब नहीं मिला है. लेकिन यह आगे इस उपलब्धि को हासिल कर सकते हैं जिसकी प्रक्रिया चल रही है.
रक्तदान करने से नहीं होती है कोई हानि
रक्तदान के प्रति लोगों को जागरुक कर मुहिम को आगे बढ़ाने वाले अरुण पाठक बताते हैं कि रक्तदान को लेकर आज भी लोगों में कई प्रकार की भ्रांतियां हैं. लेकिन इन भ्रांतियां को खत्म करने ये लगातार लोगों को जागरुक करते हैं. इन्होंने बताया कि जो व्यक्ति 90 दिन के अंतराल पर नियमित रूप से रक्तदान करता है, वह शारीरिक मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। इनका मानना है कि यदि लाइफस्टाइल और अव्यवस्थित भी हो तब भी रक्तदान कर स्वस्थ जीवन जी सकते है। वहीं इनके सुपुत्र अनुराग पाठक बताते हैं कि पिता को बचपन से देख इन्हें भी रक्तदान करने का शौक जगा जो 18 साल की आयु पूरा करने के बाद अब इनके जीवन का एक हिस्सा बन चुका है. 25 वर्षीय अनुराग पाठक बताते हैं कि ये भी युवाओं को विशेष कर रक्तदान के प्रति जागरूक करने की मुहिम को आगे बढ़ा रहे हैं।