Chaibasa (चाईबासा) : भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर सम्मान अभियान के अंतर्गत स्थानीय स्तर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें विभिन्न जनप्रतिनिधियों और नेताओं ने डॉ. अंबेडकर के योगदान, उनके विचारों की प्रासंगिकता और वर्तमान मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यों पर अपने विचार रखे.
संगोष्ठी में यह तथ्य उभरा कि डॉ. अंबेडकर को स्वतंत्र भारत में अपेक्षित सम्मान और स्थान मिलने में विलंब हुआ. यह भी रेखांकित किया गया कि उनके विचारों को समाज के एक सीमित वर्ग तक ही सीमित कर दिया गया. जिससे उनकी व्यापक दृष्टि और योगदान को वह स्थान नहीं मिल सका जिसके वे अधिकारी थे.

पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने उपस्थित कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों में निहित समानता और न्याय की भावना को सुदृढ़ करने की आवश्यकता आज भी बनी हुई है. उन्होंने यह भी कहा कि बीते वर्षों में कई ऐसी व्यवस्थाएँ अस्तित्व में आईं जो संविधान की भावना से मेल नहीं खाती थीं. वर्तमान सरकार द्वारा पंचतीर्थों की स्थापना, संविधान दिवस की मान्यता और बाबा साहब को भारत रत्न प्रदान किया जाना सकारात्मक पहल के रूप में देखा जा सकता है.
पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने कहा कि बाबा साहब के विचारों को व्यवहार में लाने की दिशा में निरंतर प्रयास की आवश्यकता है. यह देखा गया है कि अतीत में उनके विचारों को नीतिगत स्तर पर समुचित प्राथमिकता नहीं मिली. लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने और सामाजिक न्याय को समावेशी रूप देने की दिशा में हाल के वर्षों में केंद्र की मोदी सरकार में उठाए गए कदम इस दिशा में एक सकारात्मक संकेत हैं.
पूर्व मंत्री बंडकुंवर गागराई ने कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार को व्यवहारिक स्तर पर पूरी तरह लागू करने के लिए ठोस कार्यनीतियों की आवश्यकता है.
प्रदेश प्रवक्ता जे. बी. तुबिद ने कहा कि भाजपा का ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ जैसे दृष्टिकोण संविधान की भावना के अनुरूप हैं, और ऐसे प्रयास सामाजिक समरसता को बल प्रदान करते हैं.
जिला अध्यक्ष संजय पांडे ने कहा कि संविधान की मूल आत्मा को जन-जन तक पहुँचाने हेतु भाजपा कार्यकर्ता निरंतर कार्य कर रहे हैं.
पूर्व विधायक गुरुचरण नायक ने बताया कि बाबा साहब के विचारों को पाठ्यक्रमों और नीतियों में अधिक विस्तार से सम्मिलित किए जाने की आवश्यकता है.
सनी पासवान ने कहा कि सामाजिक वंचना से मुक्ति हेतु संवैधानिक अधिकारों की जागरूकता अत्यंत आवश्यक है, और इस दिशा में निरंतर प्रयास हो रहे हैं.
गीता बालमुचू ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे डॉ. अंबेडकर के विचारों का प्रचार-प्रसार करें और संविधान के संरक्षण में अपनी भूमिका निभाएं.
कार्यक्रम की शुरुआत भारत रत्न भीमराव अंबेडकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर पुष्प माला चढ़ा कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया, एवं संविधान की प्रस्तावना का पाठ संगोष्ठी में की गई.
कार्यक्रम में ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम में मालती गिलुवा, रूपा दास, हेमंती विश्वकर्मा, दीपक सिंह, हेमंत केसरी, चंद्र मोहन तियु, हर्ष रवानी, राकेश पोद्दार दिलीप साव अनंत सयनम, पवन शर्मा, मंगल हेंब्रम महेंद्र गोप, रामानुज शर्मा, रविशंकर विश्वकर्मा, मुकेश सिंह, जूली खत्री, बिरजू रजक, गुल्लू कुमार, गंगा काँरवा, अक्षय खत्री, प्रफुल्ल महाकुड़, दुर्गा चरण नाग, अनिल दास, पप्पू महतो, जय किशन बिरूली, वीरेंद्र कुमार सिंह, रोहित दास, अशोक कुमार तुम्बिल, मुकेश दास समेत अनेक भाजपा कार्यकर्ता सम्मिलित हुए.