Chaibasa (चाईबासा) : पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय शहर चाईबासा स्थित तसर रेशम परिसर में उद्योग विभाग-हस्तकरघा, रेशम एवं हस्तशिल्प निदेशालय-झारखंड के तत्वावधान पर लुगम चासी (तसर खेती) आधारित एक दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.
इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर झारखंड सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और परिवहन विभाग के मंत्री दीपक बिरुआ, विशिष्ट अतिथि सिंहभूम सांसद जोबा माझी, सिंहभूम प्रमंडलीय आयुक्त हरि कुमार केसरी, जिला दंडाधिकारी -सह- उपायुक्त कुलदीप चौधरी, चाईबासा जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन, उप विकास आयुक्त संदीप कुमार मीणा सहित आमंत्रित अतिथि राममोहन प्रमाणिक, सहायक सचिव-कच्चा माल बैंक चाईबासा एवं डॉ तपेन्द्र सैनी, वैज्ञानिक ‘बी’, तसर प्रजनन केन्द्र, पी-04, चक्रधरपुर, केन्द्रीय रेशम बोर्ड से पधारे आमंत्रित अतिथिगण, सहायक उद्योग निदेशक-रेशम रवि शंकर प्रसाद व अन्य के द्वारा भाग लिया गया.

क्षेत्रीय कार्यशाला के अवसर पर सर्वप्रथम उपस्थित सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान कर उनका स्वागत व अभिनंदन किया गया, तत्पश्चात उपस्थित सभी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत्त शुभारंभ किया गया.
कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा कोकुन उत्पादन में बेहतर कार्य करने वाले तसर किसानों को प्रोत्साहित किया गया. साथ ही तसर खेती को बढ़ावा देने से संबंधित “तसर रेशम कीटपालन” बुगिन ऐनेतो रेया होरा चिनाः बु चिकाया चिनाः का नामंक पुस्तक का विमोचन भी किया गया.

इस दौरान अतिथियों के द्वारा आयोजन स्थल पर स्थापित विभिन्न स्टालों का फीता काटकर शुभारंभ हुआ. साथ ही परिसर में स्थित कोकुन बैंक का अवलोकन भी किया गया. क्षेत्रीय कार्यशाला में भोजनावकाश उपरान्त तकनीकी सत्र में रोग प्रबंधन, पोस्ट कोकुन टेक्नोलोजी, बीजागार तकनीक, कीटपालन एवं पौधारोपन आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा किया गया.

एकदिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए सिंहभूम सांसद ने कहा कि कोल्हान क्षेत्र में तसर-रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है. झारखंड सरकार इस क्षेत्र के तसर किसानों को तकनीकी सुविधा सहित बेहतर मार्गदर्शन उपलब्ध कराने व किसानों के आय में वृद्धि लाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है. तसर किसानों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप ही हम सभी को रेशम निर्मित सामग्री प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि तसर रेशम उत्पादन कोल्हान क्षेत्र में मुख्यतः वन आधारित उत्पाद है. जिसमें वन एव पर्यावरण को क्षति बिना, कम समय में अतिरिक्त आय का एक सुगम साधन है.

कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि कोल्हान क्षेत्र के करीब 55 से 60 हजार परिवार के लिए तसर की खेती एक अतिरिक्त आय का मुख्य स्रोत है. जिससे किसान अपनी विशेष जरूरतों की पूर्ति कर पाते है. इस कार्यशाला का उद्देश्य तसर खेती की समृद्ध विरासत-परम्परा को बचाये रखते हुए अगली पीढ़ी को इस खेती के लिए प्रोत्साहित करना एवं 50-55 दिनों के अन्दर आय का बेहतर साधन मुहैया करना है.

उन्होंने कहा कि इस परम्परागत खेती को अगली पीढ़ी उद्योग विभाग के विभिन्न अनुदानों-सहायतों को हासिल कर वैज्ञानिक तरीक से खेती कर अधिक से अधिक आय प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं. साथ ही युवा पीढी के कृषक कोल्हान क्षेत्र में उत्पादित विश्व की सर्वश्रेष्ठ तसर रेशम में वैल्यू ऐडिशन करें एवं केवल कुकन की बिक्री न करें, बल्कि उससे धागा निकालने व वस्त्र उत्पादन जैसे कार्यकलाप से भी खुद को जोड़ें.
इसे भी पढ़ें : http://किसान अब सालों भर कर सकेंगे खेती, केंजरा में चेकडैम निर्माण काम शुरू, विधायक दीपक बिरुवा ने किया योजना का शिलान्यास