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    Home»#Local»Chaibasa»मंत्री संजय सेठ यदि बाहरी व्यक्ति हैं तो सुप्रियो भटाचार्य भी बाहरी ही हैं झारखंडी नही – अनूप सुलतानियाँ
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    मंत्री संजय सेठ यदि बाहरी व्यक्ति हैं तो सुप्रियो भटाचार्य भी बाहरी ही हैं झारखंडी नही – अनूप सुलतानियाँ

    By The News24 Live11/06/2024No Comments3 Mins Read
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    Chaibasa : सांसद संजय सेठ पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रिया भटाचार्या के हमले का जवाब देते हुए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अनुप कुमार सुल्तानियाँ ने कहा कि सुप्रियो भट्टाचार्य जी रांची के सांसद और मोदी सरकार में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ यदि बाहरी व्यक्ति हैं तो आप भी बाहरी व्यक्ति ही हैं. यदि झारखंड मुक्ति मोर्चा की परिभाषा को मान लिया जाए तो झारखंड में सिर्फ 28 से 30% निवासी ही स्थानीय है. बाकी सब कोई बाहरी ही है. ऐसे में सुप्रिया भट्टाचार्य की झारखंड और झारखंड मुक्ति मोर्चा में क्या आवश्यकता है.

    इसे भी पढ़ें : चतरा : धोखा, झूठ और फरेब का दूसरा नाम है कांग्रेस, झामुमों और राजद, ये लोग पेट और मुंह के हैं पापी  – भवनाथपुर विधायक भानुप्रताप शाही

    उन्होंने कहा कि सुप्रियो भटाचार्या संजय सेठ जैसे प्योर झारखंडी पर इस प्रकार के आरोप लगाकर आप झारखंड मे एक बेसिर पैर का विवाद पैदा करना चाह रहे हैं जो झारखंड के सामाजिक और राजनीतिक हित में नहीं है. संजय सेठ को दो बार झारखंडी जनता ने ही रांची से सांसद बनाकर दिल्ली भेजा है. क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा में सभी झारखंडी है. सुप्रियो जी भारत की राजनीति बदल रही है किंतु शायद झारखंड मुक्ति मोर्चा उसके अनुसार अपने को बदलने को तैयार नहीं है. आपके अनुसार तो बिहार के नेता शत्रुघ्न सिन्हा को आसनसोल से चुनाव नहीं जीतना चाहिए था. क्योंकि वे बंगाली नहीं है. सुप्रियो जी राष्ट्रीय राजनीति में झारखंड मुक्ति मोर्चा को यदि अपनी पहचान बनानी है तो बड़ा हृदय दिखाना ही होगा.

    भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अनुप कुमार सुल्तानियाँ

    झारखंड आलग राज्य के संघर्ष आदिवासियों समेत महतो, कुर्मी के साथ-साथ गैर आदिवासियों मसलन मारवाड़ी, बंगाली, बिहारी, पंजाबी,‌‌ ओड़िया समुदाय ने भी अहम भूमिका निभाई थी. इसलिए झारखंड की राजनीति में भी इनका भी हक तो बनता ही है. आप इनके हक को नकार कैसे सकते हैं. संजय सेठ जैसे लोगों ने झारखंड की राजनीति में अपने जीवन के 40 से 45 वर्ष बिताएं है. उनके त्याग और संघर्ष को देखते हुए यदि झारखंड की जनता उन्हे दो बार रांची से सांसद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें अपनी सरकार मंत्री बनाते है तो इसमें एतराज की कोई बात नहीं होनी चाहिए. बल्कि खुशी होनी चाहिए कि भारत सरकार में झारखंड को दो दो मंत्री पद मिले हैं. अब झारखंड के हित दोनों का उपयोग कैसे हो इस काम होना चाहिए न कि दोनों का विरोध.

    इसे भी पढ़ें : धन-बल से अपनी नाकामी छुपाना चाहती है झामुमो – ईचा खरकई बांध विरोधी संघ अध्यक्ष

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