जैंतगढ़ (पश्चिमी सिंहभूम) – जैंतगढ़ प्रखंड के ग्राम खुंटिया पादा स्थित गुटुसाई टोला की नौ वर्षीय अंजली बोबोंगा की हालत देखकर हर किसी की आंखें नम हो जाती हैं। मासूम अंजली बीते कई महीनों से बीमार है और कुपोषण का शिकार होकर इतनी कमजोर हो चुकी है कि अब वह खड़ी भी नहीं हो पाती।
डायरिया फैलने के दौरान सामने आई मासूम की हालत
कुछ दिन पहले गांव में डायरिया फैलने के बाद जब विभिन्न सामाजिक संगठनों की टीम निरीक्षण के लिए पहुंची, तो उनकी नजर अंजली पर पड़ी। बच्ची की हालत देखकर सभी प्रतिनिधि स्तब्ध रह गए। अंजली का शरीर कुपोषण से सूख चुका था और वह बिस्तर पर असहाय पड़ी थी।
पारिवारिक हालात भी बेहद दयनीय
अंजली के पिता ने दूसरी शादी कर ली है और अब वे न तो अंजली की देखभाल करते हैं और न ही उसकी मां की। मजबूरी में अंजली की मां को घर चलाने के लिए बेंगलुरु मजदूरी करने जाना पड़ा। उधर, लगभग एक वर्ष पहले अंजली के पिता मजदूरी के दौरान दो मंजिला इमारत से गिर गए, जिसके बाद वे अपंग हो गए और अब लाठी के सहारे ही चलते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की पहल से मिली मदद
अंजली की गंभीर स्थिति की जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता आमिर हिन्दुस्तानी ने जिला परिषद अध्यक्ष सह झामुमो महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन को दी। उनकी पहल पर टाटा स्टील फाउंडेशन की टीम ने एंबुलेंस भेजकर अंजली को सदर अस्पताल चाईबासा के कुपोषण केंद्र में भर्ती कराया।
गांव में बीमारी और डर का माहौल
आमिर हिन्दुस्तानी ने बताया कि गांव में लगभग हर घर का कोई न कोई सदस्य बीमार है। जब अंजली को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था, तो ग्रामीण घबरा गए क्योंकि उनके अनुसार “इस गांव में एंबुलेंस अब तक केवल लाशें ले जाने के लिए आई है।”
फेसबुक कैम्पेन से जुटाई मदद राशि
आमिर ने बताया कि उन्होंने फेसबुक पर एक छोटा कैंपेन चलाकर अंजली की मदद के लिए ₹1700 की राशि जुटाई, जो अंजली की बड़ी बहन तुलसी को दी गई।
इस पूरे प्रयास में खुटपानी प्रखंड प्रमुख सिद्धार्थ होनहागा और नारायण कांडयांग का भी सराहनीय सहयोग रहा।
अब उम्मीद की किरण यह है कि समाज की संवेदनशीलता और मिल-जुलकर की गई पहल से अंजली जैसी मासूम ज़िंदगियों को फिर से जीने का मौका मिल सकेगा।



