Chandil:ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र से बीते चुनाव में एनडीए प्रत्याशी रहे आजसू नेता हरेलाल महतो को सरायकेला कोर्ट के आदेश पर गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया है. मामला अवैध खनन के से जुड़ा है, जिसे लेकर कोर्ट के आदेश पर हरेलाल महतो को गिरफ्तार किया गया है.
बताया जाता है कि यह पूरी कार्रवाई कोर्ट के आदेश पर की गई है. गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने सरायकेला सदर अस्पताल में हरेलाल महतो का मेडिकल जांच करने के बाद सरायकेला जेल भेजा गया है. खैर यह तो रही अवैध खनन के एक एक मामले में एनडीए प्रत्याशी रहे हरेलाल महतो की गिरफ्तारी की बात, लेकिन यह गिरफ्तारी अपने आप में कई सवालों को जन्म दे रही है. इसमें पहला सवाल यही है कि बीते विधानसभा चुनाव में ईचागढ़ में एनडीए का इतना बुरा हश्र क्यों हुआ? जो नहीं होना चाहिए, एक तो क्षेत्र में भाजपा का मजबूत संगठन और जनाधार होने के बावजूद आजसू के खाते में यह टिकट गया, वह भी उस नेता को टिकट मिला जिस पर एक-दो नहीं, बल्कि कुल 11 मामले दर्ज हैं. यह हम नहीं कहतें बल्कि एनडीए प्रत्याशी आजसू नेता हरेलाल महतो के दायर चुनावी हलफनामें में इन मामलों का जिक्र किया है. यकीन नहीं होता तो आप खुद ही देख-समझ लें.
फोटो——11 मामले दर्ज
ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्षेत्र की जनता एनडीए प्रत्याशी की दागदार छवि से अच्छी तरह से वाकिफ थी. इसलिए ही ईचागढ़ विधानसभा चुनाव में एनडीए का यह हश्र हुआ. हालांकि, चुनावी परिणाम की बात करें तो यह तो एक बड़ा कारण था ही कि ईचागढ़ विधानसभा सीट भाजपा की पारंपरिक सीट रही है. यह सीट किसी भाजपा नेता को नहीं मिलने से पार्टी समर्थकों और कार्यकर्ताओं में निराशा की लहर थी ही. बावजूद इसके किसी स्वच्छ छवि के नेता को एनडीए के घटक दल से ही टिकट दिया जाता तो शायद आज चुनाव परिणाम कुछ और होता.
अब बात करते हैं ईचागढ़ की जनता की हरेलाल महतो के प्रति नाराजगी को लेकर. दरअसल इनका माइनिंग को हो या उससे जुड़ा कोई भी धंधा, सारा कुछ ईचागढ़ क्षेत्र में ही चलता है. दिन-रात इनका नाम लिखी बड़ी-बड़ी वाहनें क्षेत्र की सड़कों पर दौड़ती रहती है. जिसका शिकार भी कोई होता है तो वह क्षेत्र के लोग ही होते हैं. इसका ताजा उदाहरण बीते 29 अगस्त को तब सामने आया था, जब इनका लिखा बालू लदे एक हाइवा ने ईचागढ़ थाना के मिलनचौक-आदरडीह सड़क मार्ग के सोड़ो मोड़ के पास बाइक सवार पिता-पुत्री और पुत्र को अपनी चपेट में ले लिया था. उस दुर्घटना में बाइक सवार सुनील महतो (12) की मौत हो गयी. वहीं मृतक के पिता सपन महतो व बहन पद्दा महतो घायल हो गये. घटना के बाद आक्रोशित लोगों ने मुआवजा व घायलों के बेहतर इलाज के लिए करीब 12 घंटे तक सड़क जाम कर दिया. दिन के उजाले में हुई इस घटना के बाद रात हो गई. बावजूद इसके विधानसभा चुनाव के पहले हुई इस दुर्घटना के बाद खुद को एनडीए का भावी प्रत्याशी माननेवाले हरेलाल महतो ने घटनास्थल पर पहुंचना भी मुनासिब नहीं समझा, बल्कि जबरन ग्रामीणों को जाम स्थल से हटाया. फिर करीब सवा सौ लोगों पर प्राथमिकी भी दर्ज की गई. इस तरह के पूरे मामले से क्षेत्र की जनता पर क्या बीती होगी, जब चुनाव में उसी व्यक्ति को प्रत्याशी के रूप में देखे होंगे, यह सोंचने और समझनेवाली बात है.
इसके अलावा अवैध माइनिंग ही नहीं, पुलिस पार्टी पर हमला के साथ अपराधियों और नक्सल सांठगांठ के आरोपों को लेकर भी हरेलाल महतो जब-तब सुर्खियों में रहे हैं. तकरीबन 3 वर्ष पूर्व कोरोना लॉकडाउन के दौरान मेला आयोजित करने के आरोप में हरेलाल महतो को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. इसके अलावा लगातार अवैध पत्थर माईनिंग, विस्फोट जैसे कई अवैध गतिविधि में हरेलाल महतो शामिल रहे हैं. ताजा मामला अवैध माइनिंग के मामले में उनकी गिरफ्तारी की है ही, फिर क्षेत्र की जनता उनकी इस दागदार छवि से कैसे वाकिफ नहीं थी, जो इन्हें वोट देकर अपना जनप्रतिनिधि बनाने का दर्जा प्रदान करती. ये सारे मामले यह जाहिर करने के लिए काफी हैं कि बीते विधानसभा चुनाव में ईचागढ़ से एनडीए की लुटिया क्यों डुबी.