Chaibasa (चाईबासा): देश में वर्षों से लंबित वफ्फ संपत्ति से संबंधित संवेदनशील मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा लाया गया. वफ्फ संशोधन विधेयक 2024 अब लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित हो चुका है तथा राष्ट्रपति की स्वीकृति की ओर अग्रसर है. यह विधेयक भारत के अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के ईमानदार व जरूरतमंद वर्ग के लिए एक रक्षक के रूप में सामने आया है. वहीं झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य के लिए एक ऐतिहासिक सुरक्षा कवच सिद्ध होगा.
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पूर्व में वफ्फ बोर्ड द्वारा व्याप्त भ्रष्टाचार
देशभर में वफ्फ बोर्डों के माध्यम से अवैध संपत्ति कब्जा, जबरन अधिग्रहण और फर्जी दस्तावेज़ों से संपत्ति को वफ्फ घोषित करने जैसे गंभीर घोटाले सामने आए हैं. यह न केवल गरीब मुसलमानों के साथ अन्याय था, बल्कि झारखंड जैसे राज्यों में आदिवासियों की भूमि हड़पने का माध्यम भी बन गया था.
झारखंड में जमीन जिहाद पर रोक एवं अनुसूचित क्षेत्र की सुरक्षा
भाजपा नेताओं ने स्पष्ट किया है कि इस विधेयक के बाद अब झारखंड जैसे अनुसूचित क्षेत्रों (पाँचवीं व छठी अनुसूची) में वफ्फ बोर्ड 1 इंच भी भूमि को वफ्फ संपत्ति घोषित नहीं कर पाएगा. यह विधेयक तथाकथित “जमीन जिहाद” जैसे प्रयासों पर पूर्ण विराम लगाता है. अनुसूचित जनजातियों की ज़मीन अब पूर्णतः सुरक्षित है और उस पर किसी भी बाहरी दावे को गैर-कानूनी ठहराया जाएगा.
संशोधित विधेयक के प्रमुख लाभ :
वफ्फ संपत्तियों की डिजिटल रिकॉर्डिंग और पारदर्शिता अनिवार्य होगी.
बिना जांच और प्रामाणिक दस्तावेजों के कोई संपत्ति वफ्फ घोषित नहीं की जा सकेगी.
आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय भूमि कानूनों और संविधान की अनुसूचियों को पूर्ण संरक्षण प्राप्त होगा.
यह कानून धर्मनिरपेक्ष एवं न्यायसंगत दृष्टिकोण से सभी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करता है.
बधाई और समर्थन
पूर्व मुख्यमंत्री मधुकोड़ा, पूर्व सांसद गीता कोड़ा, पूर्व विधायक बड़कुंवर गागराई, जिला अध्यक्ष संजय पांडे एवं पूरी भारतीय जनता पार्टी जिला कमेटी,
एनडीए के सभी सांसदों और विशेष रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी तथा गृह राज्य मंत्री किरण रिज्जु को धन्यवाद देते हुए यह कहा गया कि उन्होंने यह कानून लाकर न सिर्फ अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की, बल्कि आदिवासियों की पवित्र भूमि को भी संरक्षण प्रदान किया.
झारखण्ड में कांग्रेस द्वारा फैलाया जा रहा भर्म और झूठ
कांग्रेस द्वारा यह कहना कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी है – पूर्णतः राजनीतिक दुर्भावना और तुष्टीकरण नीति का उदाहरण है. झारखंड की जनता भली-भांति जानती है कि कांग्रेस शासन में वफ्फ बोर्ड कैसे भ्रष्टाचार का अड्डा बना रहा. यह विधेयक न किसी समुदाय के विरोध में है, न पक्ष में, बल्कि संविधानिक न्याय और पारदर्शिता की दिशा में एक मजबूत कदम है.
वफ्फ संशोधन विधेयक 2024 एक समान अधिकार आधारित, पारदर्शी और संवैधानिक कानून है, जो हर भारतीय नागरिक की भूमि और अधिकारों की रक्षा करता है. झारखंड की जनता, विशेषकर आदिवासी समुदाय और अल्पसंख्यक वर्ग, इस विधेयक का खुले दिल से स्वागत कर रहे हैं.
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