Chaibasa:- पश्चिम सिंहभूम जिले में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के दौरान पुलिस जवानों के द्वारा ग्रामीणों के साथ मारपीट करने एवं अन्य कई गंभीर आरोप झारखंड जनाधिकार महासभा के सदस्यों ने लगाया है. इस संबंध में महासभा के सदस्यों ने जिला उपायुक्त से मिलकर न्याय की गुहार लगाई है. जबकि पुलिस अधीक्षक आशुतोष शेखर ने प्रेस रिलीज जारी कर नक्सलियों के द्वारा ग्रामीणों की मारपीट करने की जानकारी दी है. साथ ही पुलिस जवानों के द्वारा घायल ग्रामीणों के चोट पर मरहम भी लगाया.
उन्होंने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि ग्रामीणों के साथ मार पीट की गई है. इस सूचना के बाद पुलिस जवानों ने गांव में पहुंचकर ग्रामीणों से जानकारी ली और ग्रामीणों के चोट पर मरहम लगाया. पुलिस जवानों को विभिन्न श्रोतों से यह सूचना प्राप्त हुई कि नक्सली संगठन के अजय महतो उर्फ बुद्धराम काण्डे होनहागा, सोनाराम होनहागा, सागेन अंगरिया उर्फ श्याम अगरिया एवं अन्य दस्ता सदस्यों के द्वारा 15-20 की संख्या में टोन्टो थानान्तर्गत ग्राम लोवाबेड़ा में कुछ ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई है.
संचालित अभियान के दौरान इस घटना की सत्यापन एवं आवश्यक कार्रवाई हेतु पुलिस बल के द्वारा ग्राम लोवाबेड़ा में जाकर आसूचना के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई. सत्यापन के क्रम में यह पाया गया कि यह घटना सत्य है. भाकपा माओवादी नक्सलियों के द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को परेशान एवं भयभीत करने के लिए मारपीट की गई है. पुलिस टीम के द्वारा सभी ग्रामीणों को उचित चिकित्सा सुविधा, दवाइयाँ एवं अन्य वस्तुएँ उपलब्ध करायी गयी.
नक्सलियों के IED से ग्रामीण की हो गई थी मौत
बता दें कि विगत 20 नवंबर को ग्राम रेंगड़ाहातु थाना टोन्टो के टाटीबेड़ा टोला के समीप जंगल में भाकपा नक्सलियों के द्वारा एक IED विस्फोट की घटना कारित की गई थी, जिसमें टोन्टो थानान्तर्गत ग्राम रेंगड़ाहातु के निवासी चेतन कोड़ा की मृत्यु हो गई थी. इस प्रकार की कायराना हरकत से दुगर्म ग्रामीण क्षेत्रों में नक्सलियों के द्वारा आम जनता को परेशान किया जा रहा है. जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन सभी संयुक्त बलों के साथ आम जनता के सेवा के लिए सदैव तत्पर है. साथ ही नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी रहेगी.
झारखंड जनाधिकार महासभा ने पुलिस पर लगाये ये गंभीर आरोप
झारखंड जनाधिकार महासभा का एक प्रतिनिधिमंडल पश्चिम सिवान जिला उपायुक्त अनन्य मित्तल से मिलकर चिरियाबेड़ा के आदिवासी फिर से बने सुरक्षा बलों के हिंसा व छेड़खानी किए जाने की बात से अवगत कराया.
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि 11 नवंबर 2022 को चिरियाबेड़ा गाँव (अंजेड़बेड़ा राजस्व गाँव, सदर प्रखंड, पश्चिमी सिंहभूम) में सर्च अभियान के दौरान फिर से सुरक्षा बलों द्वारा निर्दोष आदिवासियों के साथ हिंसा की गयी. झारखंड जनाधिकार महासभा, जो विभिन्न जन संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं का मंच है, द्वारा इस मामले का तथ्यान्वेषण किया गया था. इस विषय पर महासभा प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक से 2 दिसम्बर 2022 को मिलकर चर्चा किए.
अभियान के दौरान गाँव की कई महिलाओं समेत निर्दोष आदिवासियों की पिटाई की गयी, एक नाबालिक लड़की के साथ बलात्कार के उद्देश्य से छेड़खानी किया गया और घरों में रखे समान को तहस-नहस किया गया. वृद्धा विधवा नोनी कुई जोजो के घर में सुरक्षा बल के जवान घुस के सामान को बिखेर दिए. फिर घर के अन्दर उनकी नाबालिक बेटी शांति जोजो के हाथों को दो जवानों ने पकड़ा व तीसरा जवान उसके स्तनों को दबाने लगा. उसे घीच के झाड़ी के तरफ ले जाना चाहता था. वो किसी तरह अपने को छुड़ाके भागी और माँ से लिपट गयी. फिर जवानों ने नोनी कुई को डंडे से बुरी तरह पीटे लेकिन उसने बेटी को नहीं छोड़ा. शांति जोजो ने तथ्यान्वेषण दल को स्पष्ट बोला कि जवानों द्वारा किए गए छेड़खानी से उसको ऐसा लगा कि उसका बलात्कार करने वाले थे.
अन्य कई लोगों के साथ हिंसा की गयी. 16 वर्षीय बामिया बहंदा को पेड़ से उतारकर पीटा गया. जब उसकी माँ कदमा बहंदा उसे बचाने गयी, तो उसे भी पीटा गया. कदमाँ के दोनों हाथो को जवानों ने पकड़ लिया और फिर आगे-पीछे व कमर में लात व बंदूक के बट से मार के उन्हें उनके घर तक ले गए. फिर उनके खुले बाल को पकड़ के उनको इधर-उधर गोल-गोल खींच तान कर घुमाया गया. सुरक्षा बलों ने कईओं के घरों में रखे सामान (धान, कपड़े, बर्तन आदि) एवं खलियान में रखे धान को तहस-नहस कर दिया. पूरी घटना के दौरान सुरक्षा बल के जवान हिंदी में पूछताछ कर रहे थे और ग्रामीण लगातार हो भाषा में बोल रहे थे कि उन्हें हिंदी अच्छे से नहीं आती है.
अभियान के दौरान आदिवासियों के प्रति ऐसा अमानवीय व गैरकानूनी रवैया पूर्ण रूप से संविधान व लोकतंत्र विरोधी है. ऐसे गावों के ग्रामीणों की विशेष परिस्थिति व समस्याओं को समझने के बजाय सुरक्षा बलों द्वारा संवैधानिक, क़ानूनी व मानवता की सीमाओं को लांघ कर अभियान के नाम पर निर्दोषों पर व्यापक हिंसा की जाती है.
झारखंड जनाधिकार महासभा की सरकार से निम्न मांगे :-
• 11 नवम्बर 2022 को चिरियाबेड़ा में लोगों पर हिंसा एवं नाबालिक लड़की के साथ छेड़खानी करने के दोषी सुरक्षा बल जवानों के विरुद्ध सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज हो और न्यायसंगत कार्यवाई हो. इस प्रताड़ना के लिए पीड़ितों को मुआवज़ा दिया जाए.
• 15 जून 2020 को इस गाँव के लोगों पर हुए हिंसा के लिए दोषी सुरक्षा बल के विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई की जाए व पीड़ितों को मुआवज़ा दिया जाए.
• केवल संदेह के आधार पर अथवा केवल माओवादियों को महज़ खाना खिलाने के लिए निर्दोष आदिवासी-वंचितों को माओवादी घटनाओं के मामलों में न जोड़ा जाए.
• नक्सल सर्च अभियानों की आड़ में सुरक्षा बलों द्वारा लोगों को परेशान न किया जाए और आदिवासियों पर हिंसा न किया जाए. लोगों पर फ़र्ज़ी आरोपों पर मामला दर्ज करना पुर्णतः बंद हो.
• पांचवी अनुसूची क्षेत्र में किसी भी गाँव के सीमाना में सर्च अभियान चलाने से पहले ग्राम सभा व पारंपरिक ग्राम प्रधानों की सहमती ली जाए. स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों को आदिवासी भाषा, रीति-रिवाज, संस्कृति और उनके जीवन-मूल्यों के बारे में प्रशिक्षित किया जाए और संवेदनशील बनाया जाए.
• बिना ग्रामीणों के साथ चर्चा किए व ग्राम सभा की सहमति के कैंप ज़बरदस्ती स्थापित न की जाए.
महासभा प्रतिनिधिमंडल में जोहार, आदिवासी विमेंस नेटवर्क, आदिवासी यंगस्टर यूनिटी, झारखंड किसान परिषद समेत कई संगठन के प्रतिनिधि अम्बिका यादव, एलिना होरो, कमल पूर्ति, मिली होरो, नारायण कांडेयांग, रमेश जेराई, रेयांस समाद, सोनल, सिराज आदि शामिल थे.