Chaibasa :- आदिवासी समन्वय समिति एवं विभिन्न संगठनों, ग्राम सभाओं के साथ विभिन्न मुद्दों को लेकर आगामी 10 दिसंबर को पुराना उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन करेगी. इसे लेकर आज जोहर संस्था कार्यालय में बैठक कर विचार विमर्श किया गया और शोषित आदिवासियों को उनके हक के लिए आवाज उठाने का निर्णय लिया गया.
आदिवासी समन्वय समिति के सलाहकार सह पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा और संयोजक सुशील बारला ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के 75 साल बाद झारखंड अलग राज्य बने 22 साल बाद भी सारंडा-पोड़ाहाट के लोगों को मौलिक सुविधाओं से वंचित करना दुर्भाग्यपूर्ण है. भारत सरकार में अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन अधिकार कानून 2006 के रूप में लागू किया. राज्य में कानून लागू हुए 16 साल हो गए लेकिन वन अधिकार पट्टा निर्गत करना सिर्फ आश्वासन ही रह गया है. सारंडा में वनाधिकार के नाम पर 15 -20 डिसमिल का झुनझुना पकड़ा दिया गया है. जिसमें चौहद्दी में चारों तरफ वन दिखाया गया है क्या उस 15 – 20 डिसमिल जमीन से जिंदा रहने की उम्मीद की जा सकती है. 1980 – 2005 के बीच सारंडा-पोड़ाहाट वन क्षेत्र में कई वनग्राम बसे हैं. वहां पर बसे लोगों को अभी भी मौलिक सुविधाओं से वंचित किया गया है. आज भी वनग्राम पर जीविकोपार्जन के लिए बसे लोगों के ऊपर शोषण अत्याचार जारी है. सारंडा में 116 साल पूर्व बसे 8 वन ग्राम को अभी तक राजस्व ग्राम का दर्जा नहीं दिया गया है. जिससे वहां के लोगों को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बनाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है एवं सारंडा के 6 पंचायत के लोगों को सुनियोजित षड्यंत्र के तहत 2013 से आवास योजना को बंद कर दिया गया है. गोइलकेरा से जराइकेला पीडब्ल्यूडी पथ निर्माण में सैकड़ों एकड़ रैयतों का जमीन बिना अधिग्रहण के सड़क का निर्माण कर लिया गया है.
सारंडा पोड़ाहाट के लोगों के पर मानवधिकारों को लेकर एवं इचा खरकई डैम जो काफी विनाशकारी परियोजना है. जिसमें 126 गांव विस्थापित होंगे और चाईबासा के खूंटपानी प्रखंड के उंचुदी गांव की पैलोंग बानरा के बलात्कारी को फांसी देने, परिजनों उचित मुआवजा सह सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर भी 10 दिसंबर को पुराना उपायुक्त समाहरणालय, चाईबासा में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर उपायुक्त पश्चिम सिंहभूम को ज्ञापन के माध्यम से समस्याओं के समाधान को आग्रह किया जाएगा.
इस मौके पर आसमान सुंडी, रमेश जेराई, रेयांस समाड, सिद्धार्थ होनहागा, सायमन लागुरी, सनातन पिंगुवा, नारायण कंडेयांग, वीर सिंह हेंब्रम, सेलाय तियू आदि उपस्थित रहे.