Jamshedpur : देश में यूरेनियम उत्पादन में अग्रणी सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड की नरवा पहाड़ खदान को देश की सबसे सुरक्षित सुरक्षा संचार प्रणाली से लैस खदान होने का गौरव प्राप्त है . इस खदान में काम करने वालों लोगों की सुरक्षा के लिए उच्च तकनीक वाले सुरक्षा संचार उपकरणों को यहाँ लगाया गया है.
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यूसिल को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवा रही कम्पनी मे० शीतल वायरलेस टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के तकनिकी अधिकारी अमित गुप्ता ने बताया की सुरक्षा प्रणाली में पूरे भूमिगत खदान क्षेत्र में ऑप्टिकल फाइबर की मदद से एक संचार प्रणाली विकसित की गयी है. जिसमे खदान के अन्दर ही एक एक्सेस प्वाइंट बनाया जाता है फिर उसके माध्यम से एक मोटोरोला कम्पनी का एक एनड्राएड डीवाईस से नेटवर्क बना कर खदान के काम में लगे सभी लोगों को उससे आपस में संपर्क स्थापित करवा कर जोड़ दिया जाता है. जिसका संपर्क खदान के बाहर सरफेस में बैठे अधिकारी से जुड़ा होता है. यह इतनी उच्च तकनीक है की आप भूमिगत खदान के अन्दर से ऊपर बैठे अधिकारी को विडियो कॉल भी आराम से कर सकते हैं . इसके अलावा चार वाकी टॉकी आपस में उस एक डीवाईस से जुड़े होते हैं जिससे हर कामगार की स्थिति का पता एनड्राएड डिवाईस के धारक को सीधा चलता रहता है. इससे दुर्घटना होने और उससे होने वाले नुक्सान की सम्भावना एकदम शून्य हो जाती है. उन्होंने बताया की इस सुरक्षा प्रणाली का सबसे अच्छा फीचर है मेन डाउन फीचर यदि कोई व्यक्ति एनड्राएड डिवाईस के साथ खदान में काम कर रहा है और किसी भी कारण से वो गिर जाता है तो तत्काल उस डिवाईस से जुड़े सभी वाकी टॉकी के साथ साथ ऊपर बैठे अधिकारी तक बीप की ध्वनि लगातार बजनी शुरू हो जायगी. और ऐसी स्थिति में तुरंत किसी भी अप्रिय घटना को टालने में सहायता मिलेगी.
यूसिल के उप महाप्रबंधक ( का० / औ० सं० ) राकेश कुमार ने बताया की कम्पनी द्वारा खदान के सभी सुरक्षा मानको का पालन डीजीएमएस के निर्देशानुसार बड़ी मुस्तैदी के साथ किया जा रहा है. हमारी पालिसी है शून्य दुर्घटना श्रमिक हित और अधिक उत्पादन. इसी बात को ध्यान में रखकर कम्पनी ने नरवा पहाड़ खदान में इस प्रकार के उच्च तकनीक वाले सुरक्षा संचार प्रणाली को स्थापित किया है. यह देश की पहली और सबसे अधिक उच्च तकनीक सुरक्षा उपकरणों से लैस भूमिगत खदान है. उन्होंने कहा की जल्द ही इसे कम्पनी के अन्य खदानों में भी लगा दिया जायगा. ताकि दुर्घटना शून्य उत्पादन की दिशा में काम किया जा सके.